कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी 8 अगस्त को बेंगलुरु के महादेवापुरा में एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले हैं। महादेवापुरा को राहुल गांधी ने गुरुवार को मशहूर कर दिया। यह प्रदर्शन भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) पर कर्नाटक और देश भर में बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर आयोजित किया जा रहा है। कांग्रेस का दावा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट, विशेष रूप से महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में, "भयंकर वोट चोरी" हुई है। इस पदयात्रा का मकसद निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना और मतदाता सूची में अनियमितताओं को उजागर करना है। बिहार एसआईआर की वजह से यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो गया है। 

2024 लोकसभा चुनाव और बेंगलुरु सेंट्रल की कहानी 

2024 के लोकसभा चुनाव में बेंगलुरु की तीन लोकसभा सीटों में से बेंगलुरु सेंट्रल में कड़ा मुकाबला देखने को मिला। कांग्रेस के उम्मीदवार मंसूर अली खान ने बीजेपी के तीन बार के सांसद पीसी मोहन को कड़ी टक्कर दी। मोहन 2009 से इस सीट पर काबिज हैं, लेकिन इस बार जीत का अंतर बेहद कम रहा। अंतिम गणना में मोहन ने 6,58,915 वोट हासिल किए, जबकि खान को 6,26,208 वोट मिले, यानी जीत का अंतर मात्र 32,707 वोटों का था। यह मोहन की चार चुनावों में सबसे कम अंतर वाली जीत थी। नोटा (NOTA) को 12,000 से अधिक वोट मिले, जो तीसरे स्थान पर रहा। लेकिन नतीजा आने से पहले पीसी मोहन बाहर आ गए और अपनी जीत की घोषणा कर दी। हालांकि उस समय तक मतगणना चल रही थी, चुनाव अधिकारी ने नतीजा घोषित नहीं किया था। 
कांग्रेस नेताओं को लगा कि इस नतीजे में कुछ "गड़बड़" जरूर है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ मतगणना में देरी का मामला नहीं है, बल्कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। कांग्रेस की आंतरिक टीम ने कथित तौर पर "वोट चोरी" के दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं। राहुल गांधी ने संसद के बाहर बोलते हुए कहा था, "हमने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट की मतदाता सूची का अध्ययन किया और हमारे पास वोट चोरी का 100 प्रतिशत सबूत है।" उसी सबूत को राहुल गांधी ने गुरुवार को पेश कर दिया।
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महादेवापुरा: धोखाधड़ी का केंद्र 

कांग्रेस ने अपनी जांच को बेंगलुरु सेंट्रल की महादेवापुरा विधानसभा सीट पर केंद्रित किया। इस सीट पर कांग्रेस को 1,15,586 वोट मिले, जबकि बीजेपी को 2,29,632 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस का दावा है कि बेंगलुरु सेंट्रल की सभी विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी ने जीत हासिल की, सिवाय महादेवपुरा के, और यही सीट बीजेपी की जीत का कारण बनी।
कांग्रेस की कानूनी टीम ने केवल महादेवापुरा में लगभग 60,000 मतदाताओं से संबंधित अनियमितताएं पाईं। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि कुल 6.26 लाख वोटों में से 1,00,250 वोटों की चोरी हुई। उन्होंने इसे पांच तरीकों से होने वाली धोखाधड़ी के रूप में बताया: डुप्लिकेट मतदाता, फर्जी और अमान्य पते, एक ही पते पर ढेरों मतदाता, अमान्य फोटो वाले मतदाता, और नए मतदाताओं के फॉर्म 6 का दुरुपयोग। नीचे चार्ट देखिए-
राहुल ने कहा, "हमारी आंतरिक मतदान भविष्यवाणी के अनुसार हमें कर्नाटक में 16 सीटें जीतनी थीं, लेकिन हम केवल नौ सीटें जीत पाए। हमने सात अप्रत्याशित हार पर ध्यान केंद्रित किया और एक लोकसभा सीट पर गहराई से जांच की। हमारी टीम का महादेवापुरा पर ध्यान गया तो हम हैरान रह गए।"

महादेवपुरा का महत्व 

महादेवापुरा बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें सर्वज्ञनगर, सीवी रमन नगर, शिवाजीनगर, शांति नगर, गांधी नगर, राजाजी नगर, चामराजपेट, और महादेवपुरा जैसे विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस क्षेत्र में लगभग 5.5 लाख तमिल, 4.5 लाख मुस्लिम, और 2 लाख ईसाई मतदाता हैं। अनुसूचित जाति की आबादी 16.04% और अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.6% है। साक्षरता दर 88.53% है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक वोट हासिल किए थे, और पीसी मोहन ने कांग्रेस के रिजवान अरशद को हराया था।
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बिहार चुनाव से पहले रणनीति कांग्रेस का यह कदम बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को "बेनकाब" करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि कर्नाटक में उजागर हुई अनियमितताएं देश भर में कई सीटों पर हुई होंगी। तमाम लोग एक्स पर राहुल गांधी के आरोपों का जिक्र करते हुए लिख रहे हैं। लोगों ने लिखा है कि अभी तक चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के दस्तावेजों को फर्जी नहीं बताया। चुनाव आयोग को राहुल गांधी ने मुश्किल में डाल दिया है।
इस सीट पर 10965 डुप्लीकेट वोट पाए गए। गुरकीरत डैंग नामक मतदाता को कई जगह मतदाता पाया गया। शकुन रानी की उम्र 70 साल है। उन्होंने दो बार फॉर्म 16 के जरिए वोट डाला। एक ही मकान पर 60-60 वोटरों के पते मतदाता सूची में दर्ज हैं। जब राहुल गांधी की टीम ने उस पते पर जाकर जांच की तो पता चला कि उन नामों का कोई वोटर नहीं रहता। इसी तरह कर्मशल बिल्डिंगों, दुकानों को पते के रूप में 50-50 नाम वाले मतदाताओं के दिए गए। लेकिन टीम को उनमें कहीं भी उन नामों के मतदाता नहीं मिले। 10452 मतदाता एक ही पते पर रहते हुए पाए गए हैं।