ECI Press Conference Congress Hits Back: वोट चोरी को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कांग्रेस ने सीईसी पर जबरदस्त हमला बोला। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने कड़ा बयान दिया और कहा कि बीजेपी की स्क्रिप्ट न पढ़ें।
कांग्रेस ने रविवार 17 अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता पर जबरदस्त हमला बोला। वोट चोरी पर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देने के लिए रविवार 17 अगस्त को
भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसमें राहुल को अल्टीमेटम दे डाला। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीईसी से तीखे सवाल हुए लेकिन अधिकांश सवालों के जवाब स्पष्टता से नहीं दिए गए। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश के अलावा कई अन्य नेताओं सीईसी को घेर लिया। पवन खेड़ा ने कहा कि आज देश को पहली बार मालूम हुआ कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता जी है। नहीं तो अभी तक किन्ही सूत्रों के हवाले से या फिर बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर या संबित पात्रा के जरिए नेता विपक्ष राहुल गांधी पर हमले किए जाते थे। लेकिन आज वो सूत्र ज्ञानेश कुमार गुप्ता जी सामने आ गए।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया- “इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में, विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का, कोई सीधा जवाब नहीं दिया गया। क्या ज्ञानेश कुमार ने, उन एक लाख वोटर्स के बारे में जवाब दिया, जिन्हें हमने महादेवपुरा में बेनकाब किया था? नहीं दिया।” खेड़ा का कहना था कि विपक्ष उम्मीद कर रहा था कि चुनाव आयोग उनके सवालों का जवाब देगा, लेकिन ऐसा लगा, जैसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी का नेता बोल रहा हो। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने मशीन रीडेबल, मतदाता सूची पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि यह मतदाता की, निजता का हनन कर सकता है। इस पर पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए कहा कि छह लोकसभा क्षेत्रों की डिजिटल वोटर लिस्ट, अनुराग ठाकुर को मिल गई, लेकिन चुनाव आयोग, विपक्ष को यह सूची उपलब्ध नहीं कराता। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग की दलीलें उसकी पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "अनुराग ठाकुर के पास छह दिनों के भीतर छह लोकसभा सीटों की मतदाता सूची का डेटा कैसे आ गया? हमारे पास जवाब नहीं हैं। फिर उन्हें अनुराग ठाकुर के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्हें यह कैसे मिला? क्या उन्होंने भाजपा के अनुराग ठाकुर को नोटिस दिया है? ज्ञानेश कुमार गुप्ता जी भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।"
जिम्मेदारी राजनीतिक दलों पर क्यों
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा-
आज भारत के चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यह पहला अवसर था जब यह ‘नया’ चुनाव आयोग सूत्रों के जरिए नहीं बल्कि सीधे बोल रहा था। कल, चुनाव आयोग ने एक ‘प्रेस नोट’ जारी किया था, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची में सुधार की ज़िम्मेदारी राजनीतिक दलों और व्यक्तियों पर डालना था। इस प्रेस नोट की विपक्षी दलों ने आलोचना की और आम जनता की ओर से भी इस पर व्यापक नकारात्मक प्रतिक्रिया आई।
उन्होंने कहा- आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय पर हुई जब तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की हर एक दलील को खारिज करते हुए बिहार में SIR के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची प्रकाशित करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि इन मतदाताओं की पूरी जानकारी आसानी से खोजे जा सकने वाले (searchable) फॉर्मेट में उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, आधार को मतदाता पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता दी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इन सभी निर्देशों का विरोध किया था।
कांग्रेस महासचिव ने कहा-
आज, थोड़ी ही देर पहले जब श्री राहुल गांधी ने सासाराम से इंडिया जनबंधन की वोट अधिकार यात्रा शुरू की, तो मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों आयुक्तों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे पहले कहा कि वे सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच कोई अंतर नहीं करते। जबकि ढेरों सबूत इसके उलट हैं।ऐसे में इस बयान को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है। ध्यान देने की बात यह थी कि राहुल गांधी द्वारा उठाए गए किसी भी प्रश्न का सार्थक उत्तर CEC की ओर से नहीं दिया गया।
राहुल को धमकाने की जगह जांच करे आयोग
जयराम रमेश ने कहा- अब असली सवाल सिर्फ़ यह है: क्या चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त 2025 के आदेशों को बिहार में SIR की प्रक्रिया में अक्षरशः लागू करेगा? ऐसा करना संवैधानिक रूप से उसका दायित्व है।पूरा देश इसे देख रहा है और इंतज़ार कर रहा है। जहाँ तक राहुल गांधी को मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा दी गई धमकियों का सवाल है, तो इतना कहना काफ़ी है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने केवल वही तथ्य रखे हैं जो चुनाव आयोग के अपने आँकड़ों से सामने आए हैं। चुनाव आयोग अब न केवल अपनी अक्षमता बल्कि खुली पक्षपात के लिए भी पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। उचित यही होगा कि चुनाव आयोग डराने-धमकाने की जगह जांच करे।