रैलियां और भीड़ क्या बता रही है
प्रधानमंत्री मोदी की रैली हो या अमित शाह की रैली, दोनों जबरदस्त भीड़ खींच रहे हैं। हालांकि राज्य में बीजेपी की सरकार है और सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर भीड़ लाई जा सकती है। लेकिन टीवी पर इसका लाइव प्रसारण होने से बाकी शहरों और कस्बों में तो पार्टी की बेहतर छवि दिखती है। लेकिन अगर इन रैलियों में आ रही भीड़ का गौर से अध्ययन किया जाए तो लगता है कि सारी भीड़ भाजपा के नेताओं, सांसदों और विधायकों ने मैनेज की है। खुद से आई भीड़ झंडा वगैरह लेकर नहीं आती है। बीजेपी की टोपी पहने, मोदी जिन्दाबाद करते हुए आने वाले साफ बता देते हैं कि वे कार्यकर्ता हैं।
अगर हर विधायक, सांसद और टिकट के लिए आतुर नेताओं को भीड़ का टारगेट दे दिया गया तो वो नेता उतनी भीड़ तो ले ही आएगा। यानी एक लाख तक की भीड़ लाना कोई बड़ी बात नहीं है। किसी मैदान में अगर टेंट वगैरह लगातर 50 हजार से लेकर एक लाख लोगों की भीड़ भर दी जाए तो वो भीड़ बहुत लगती है। यही नुस्खा मोदी और शाह की हर रैली के लिए सेट किया गया है। इसकी व्यूह रचना इस ढंग से की गई है कि सांसद-विधायक प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर भीड़ लाते हैं।
मुरादाबाद में अमित शाह की रैली में 'यूपी में फिर से.... पर झूमे भाजपाई @Live_Hindustan pic.twitter.com/KObrCOeXbY
— Vipin Kumar Sharma (@vipinkahin) December 30, 2021
सपा से मुकाबला
@AliSohrab007 @yadavakhilesh @ashutosh83B @AshrafFem @ShayarImran @priyankagandhi @yadavtejashwi @FaridAliAT
— Mohid Farghani (موحد فرغانی) (@MFarghani) March 27, 2019
अमित शाह की मुरादाबाद की रैली में आये दाढ़ी टोपी वाले मुस्लिमो को रैली में जाने नही दिया गया। सड़क किनारे बाहर ही बैठना पड़ा। pic.twitter.com/Tvl5IZE4RD
अमित शाह ने उन्नाव की रैली में उन दौर को याद दिलाया जब अयोध्या में कार सेवकों पर तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार में गोलियां चली थीं। मुरादाबाद की रैली में उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में 700 दंगे हुए थे। अलीगढ़ की रैली में धारा 370 का जिक्र किया। बता दें कि मुरादाबाद और अलीगढ़ में दंगों का इतिहास है। इसलिए इन दोनों रैलियों में अखिलेश पर सीधा हमला बोला गया। मुरादाबाद में दंगों का जिक्र करने का अपना निहितार्थ है।
शाह ने आज यह भी याद दिलाया कि बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया है। यह हमारी पार्टी का वादा था।
![Why Amit Shah in panic about UP Election 2022? Fear despite crowd in rallies - Satya Hindi Why Amit Shah in panic about UP Election 2022? Fear despite crowd in rallies - Satya Hindi](https://satya-hindi.sgp1.cdn.digitaloceanspaces.com/app/uploads/30-12-21/61cdbae2509b1.jpg)
चाणक्य की रणनीति
बीजेपी के नेताओं ने कहा कि पार्टी यूपी में 300 सीटों के लिए मेहनत कर रही है। अलीगढ़ की रैली में अमित शाह ने 300 सीटें जीतने का दावा भी कर दिया। अमित शाह ने जो रणनीति बनाई है, उसके मुताबिक वो पहले दौर में हर जिले मुख्यालय या बड़े कस्बों में रैली कर रहे हैं। चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद वे बड़े ग्रामीण क्षेत्रों का रुख करेंगे। भीड़ की असली परीक्षा उन्हीं इलाकों में होगी। खासतौर पर पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में मैनेज की गई भीड़ ले जाना आसान नहीं होगा। क्योंकि शहरों में ही नेता गांवों से बहला-फुसलाकर भीड़ ले आते हैं। लेकिन गांवों की रैली में शहर के लोग आने से रहे। मोदी की रैलियों का पहला चरण निपट चुका है। अमित शाह का भी अंतिम दौर में चल रहा है। चुनाव की तारीख घोषित होने, आचार संहिता लगने के बाद भीड़ का मैनेजमेंट देखने लायक होगा।
अमित शाह पिछले एक हफ्ते से या ता वाराणसी में रात गुजारते हैं या फिर लखनऊ में। वहीं पर वे तमान कोर ग्रुप की बैठक करते हैं। इन बैठकों में सिर्फ टॉप लेवल के नेता ही आते हैं। किसी पदाधिकारी को नहीं आने दिया जाता। विशेष परिस्थितियों में विधायक को बुलाया जाता है। इन सारी बैठकों में सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को जरूर बुलाया जाता है।
शाह कल अयोध्या में रहेंगे। वहां उन्होंने यूपी पर बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक बुलाई है। इन तमाम बैठकों में क्या फैसले लिए जाते हैं, उसकी जानकारी मीडिया तक नहीं आती है। इस संबंध में प्रदेश के बड़े बीजेपी नेता बयान भी नहीं देते हैं।
अपनी राय बतायें