पंजाब में इस वक्त दो ही नाम गूंज रहे हैं- एक है अमृतपाल सिंह खालसा और दूसरा है वारिस पंजाब दे (यानी पंजाब का वारिस)। अभी जब पंजाब का किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए लड़ रहा था और पंजाब से आकर दिल्ली के बॉर्डर पर बैठ गया था तो पंजाब के संघर्ष को याद किया जा रहा था। लेकिन उसी किसान को अब अमृतपाल सिंह खालसा और वारिस पंजाब दे की तरफ धकेल दिया गया है।