लंबे विवाद और विरोध के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनावों को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार के रुख में आए बदलाव ने क्या राजनीतिक संकेत दिए हैं?
पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव वाले फ़ैसले से खुशी।
पंजाब विश्वविद्यालय में लंबे गतिरोध के बाद सीनेट चुनावों को मिली मंजूरी स्टूडेंट्स और सिविल सोसाइटी समूहों के लिए एक बड़ी जीत है। पंजाबियों और पंजाब के राजनीतिक दलों के साझा संघर्ष की यह एक बड़ी उपलब्धि है। सभी दल और सिविल सोसाइटी समूहों के साथ-साथ किसान जत्थेबंदियों ने विश्वविद्यालय की स्थापित पद्धति चुनावी व्यवस्था को पूरी तरह बहाल करने और विश्वविद्यालय के नीतिगत फ़ैसलों में स्वायत्त सीनेट की भूमिका के पक्ष का समर्थन और केंद्रीय दखल का विरोध किया था। केंद्र ने पहले पंजाब विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी फ़ैसले लेने वाली बॉडी सीनेट में सुधार करने की कोशिश की थी जिसके विरोध में छात्रों ने आंदलोन शुरू किया था। आंदोलन विश्वविद्यालय की सीनेट की स्वायत्तता को बरकार रखने का था।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गए चुनाव अनुसूची को देश के उपराष्ट्रपति और चांसलर सी पी राधाकृष्णन ने मंजूरी दे दी है। पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर रेनू विग ने उपराष्ट्रपति के निर्णय की सूचना के बारे में एक्स पर लिखा है कि 'सीनेट इलेक्शन को मंज़ूरी देने के लिए भारत के माननीय वाइस-प्रेसिडेंट और पंजाब यूनिवर्सिटी के चांसलर का शुक्रिया। यह फैसला विश्वविद्यालय के अच्छे एकेडमिक माहौल के लिए ज़रूरी कदम है। पंजाब यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन हमेशा अपने स्टूडेंट्स और टीचिंग कम्युनिटी के साथ है। सीनेट इलेक्शन शेड्यूल जल्द ही अनाउंस किया जाएगा।' सीनेट चुनाव कराने की मांग को लेकर पंजाब यूनिवर्सिटी में पिछले कुछ हफ्ते से पंजाब विश्वविद्यालय में भरी विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।
चुनाव कार्यक्रम कैसा रहेगा?
अब पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट के चुनाव अगले वर्ष 9 सितंबर से 4 अक्टूबर 2026 के बीच होंगे। चांसलर द्वारा विश्वविद्यालय के प्रस्तावित शेड्यूल को ही मंज़ूरी दी गयी है। प्रस्तावित चुनाव की तारीख़ें अलग-अलग इकाइयों के लिए है, जैसे कि टेक्निकल और प्रोफेशनल कॉलेजों के प्रिंसिपल और स्टाफ के लिए 7 सितंबर, 2026 को संभावित है। 9 सितंबर, 2026 को परिणाम घोषित करने की तारीख निश्चित की गयी थी। यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर के लिए 14 सितंबर, 2026 को चुनाव और 16 तारीख को नतीजे। टीचिंग डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के चुनाव 14 सितंबर, 2026 और परिणाम 16 सितंबर को। एफिलिएटेड आर्ट्स कॉलेजों और रजिस्टर्ड ग्रेजुएट के हेड और स्टाफ: 20 सितंबर, 2026 को चुनाव और 22 तारीख को पूर्ण परिणाम।
यह फ़ैसला इसलिए बेहद अहम है क्योंकि आरोप लग रहा था कि केंद्र सरकार सीनेट का आकार घटाकर चुनाव प्रक्रिया को लगभग खत्म करना चाहती थी और विश्वविद्यालय के प्रबंधन में पूरी तरह से केंद्र का नियंत्रण स्थापित करना चाहती थी। यह मुद्दा केवल विश्वविद्यालय की स्वायत्तता का ही नहीं, बल्कि पंजाब के अधिकारों के लिए भी चुनौती माना जाने लगा था।पंजाब ने एकता दिखाई
1882 में लाहौर में स्थापित पंजाब विश्वविद्यालय के संचालन की व्यवस्था और अहम निर्णयों के लिए स्वायत्त सीनेट का गठन 1966 में किया गया था। केंद्र ने 59 साल पुरानी व्यवस्था सीनेट और सिंडिकेट को पूरी तरह बदलने के लिए सिंडिकेट को चुनाव की बजाय पूरी तरह मनोनीत सदस्यों आधारित करने की कवायद एक आदेश द्वारा की थी जिसे छात्रों के गतिरोध के बाद वापस लेने पर बाध्य होना पड़ा। 'मनोनयन के आधार पर गवर्नन्स' के इस मॉडल को प्रजातांत्रिक अधिकार के हनन के रूप में आंदोलन ने पूरी तरह खारिज कर दिया था। विश्वविद्यालय पर केंद्र के सीधे नियंत्रण करने की मंशा को बड़ी हार मिली है।
पंजाब की एकता ने एक बार फिर केंद्र सरकार को पंजाब के मामलों में छेड़छाड़ करने पर पीछे हटने को विवश किया है। हाल ही में चंडीगढ़ के स्टेटस को बदलने के लिए शीतकालीन सत्र में लाये जाने वाले विधेयक पर भी भारी रोष के चलते विधेयक सत्र में नहीं लाने का गृह मंत्रालय को स्पष्टीकरण देना पड़ा है।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस अवसर को राजनीतिक तौर पर भुनाने में पहल करते हुए सोशल मीडिया के एक्स पर इस फैसले को पंजाब की शानदार जीत बताया है। भगवंत मान ने कहा है कि यह केवल एक विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि पंजाब की विरासत है। पंजाब के छात्रों के पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा ने इसे अपने दृढ़ निश्चय की जीत कहा है। मोर्चा ने साफ़ किया है कि यह एक बड़ी जीत है लेकिन जब तक आंदोलन के दौरन पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए जाते तब तक विरोध जारी रहेगा।
बीजेपी पंजाब में भी अपनी सत्ता स्थापित करने का प्रयास स्वतन्त्रता के बाद से निरंतर करती रही है, लेकिन किसी भी तरह से पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को जीतने में अभी तक विफल ही रही है। पंजाब में विधानसभा चुनाव फरवरी 2026 में होने हैं।