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गुरुग्रंथ साहब की आड़ लेने वाले पंजाब के वारिस नहीं: भगवंत मान

पंजाब के अजनाला थाने में पुलिस और सिख अलगाववादी अमृतपाल सिंह के समर्थकों के साथ हुई झड़प के दो दिन बाद राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत ने चुप्पी तोड़ी है।  
एक ट्वीट कर भगवंत मान ने कहा कि जिन लोगों ने पुलिस थाने पहुंचने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब की आड़ ली वे लोग पंजाब के असली वारिस नहीं हो सकते। कोई भी व्यक्ति ‘शबद गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ को पुलिस थानों में विरोध करने के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल करता है, उसे पंजाब और पंजाबियत का वारिस नहीं कहा जा सकता है।
भगवंत मान के इस ट्वीट को वारिस पंजाब दे के प्रमुक और कट्टरपंथी नेता अमृतपाल (29) पर सीधे हमले के तौर देखा जा रहा है।
पंजाब पुलिस प्रमुख गौरव यादव ने सभी थाना प्रभारी (एसएचओ) रैंक तक के अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने वालों से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया। यादव ने शुक्रवार को कहा था कि गुरुवार को अजनाला पुलिस थाने में घुसे प्रदर्शनकारियों ने पवित्र ग्रंथ को ढाल की तरह इस्तेमाल किया और पुलिस कर्मियों पर हमला किया, जिसमें पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और पुलिस अधीक्षक जुगराज सिंह सहित छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।  
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एक स्वयंभू धार्मिक उपदेशक के सैकड़ों सशस्त्र अनुयायियों ने गुरुवार को एक पुलिस स्टेशन पर कब्जा कर लिया और पुलिस ने इसलिए संयम बरता क्योंकि वे स्थिति को हाथ से निकलने नहीं देना चाहते थे।
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पुलिस की यह प्रतिक्रिया खालिस्तान की मांग करने वाले 'वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा ने अजनाला पुलिस स्टेशन में पवित्रतम् श्री गुरुग्रंथ साहिब के साथ प्रवेश की कोशिश की थी। पुलिसकर्मियों तथा अमृतपाल के साथियों के बीच खुली मुठभेड़ हुई थी और इसमें कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए और उन पर तलवारों से हमला किया गया था।
गुरुवार को अमृतपाल सिंह खालसा के बुलावे पर उसके समर्थक अजनाला में इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए हुए थे लेकिन उन्हें तोड़ दिया गया। खुद अमृतपाल सिंह खालसा वहां श्री गुरुग्रंथ साहिब के साथ पहुंचा और उसके बाद माहौल बेहद गर्मा गया। हथियारों से लैस उसके समर्थक थाने पर लगभग हमलावर हो गए। पुलिस ने बलप्रयोग करके उन्हें रोकना चाहा तो तमाम लोग खुली तलवारों के साथ पुलिसकर्मियों को जख्मी करते चले गए।
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क़मर वहीद नक़वी
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