राजस्थान में पिछले 7 सालों में अवैध खनन के 40 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। ताज़ा विवाद के बाद सरकार ने नयी माइनिंग लीज पर रोक लगाई है, लेकिन क्या इससे ज़मीनी हालात बदलेंगे? सरकार के फ़ैसले पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
क्या अरावली के लिए नयी माइनिंग लीज पर पूरी तरह रोक से अवैध माइनिंग रुक जाएगी? अरावली को लेकर 100 मीटर नियम की मंजूरी से अरावली की अधिकतर पहाड़ियों में खनन की आशंका जताए जाने के बाद सरकार ने नयी माइनिंग लीज पर रोक का आदेश निकाला है। यह सवाल इसलिए कि पिछले सात साल में ही अरावली पहाड़ियों वाले जिलों में अवैध ख़नन पर 4 हज़ार से ज़्यादा एफआईआर दर्ज हुई हैं। ये तो एफ़आईआर की बात हुई, लेकिन अवैध ख़नन के मामले तो 40 हज़ार से ज़्यादा आए हैं। यानी इतनी माइनिंग बिना माइनिंग लीज के ही हो रही थी।
दरअसल, राजस्थान में अवैध खनन की समस्या बहुत बड़ी है। पिछले सात सालों में राज्य में अवैध खनन, परिवहन और स्टॉकिंग आदि से जुड़े 7173 एफ़आईआर दर्ज हुई हैं। इनमें से 4181 एफ़आईआर अकेले अरावली क्षेत्र के जिलों में दर्ज हुई हैं। अरावली की पहाड़ियाँ राजस्थान की पर्यावरण की रीढ़ हैं, लेकिन यहां अवैध खनन काफ़ी ज़्यादा हो रही है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले सात साल में कुल 71322 मामले दर्ज हुए, जिनमें छोटे-बड़े उल्लंघन भी शामिल हैं। कई मामलों में सिर्फ चालान काटा जाता है, एफ़आईआर नहीं दर्ज की जाती है। इनमें से 40175 मामले अरावली जिलों से हैं। राजस्थान में अरावली बेल्ट में 20 जिले आते हैं।
कांग्रेस और भाजपा सरकारों में तुलना
- कांग्रेस सरकार में 5 साल में अरावली ज़िलों में 29209 मामले आए, जबकि बीजेपी सरकार के दो सालों में 10966 मामले।
- एफ़आईआर की बात करें तो कांग्रेस सरकार में 5 साल में 3179 एफ़आईआर, बीजेपी के समय में 1002 एफ़आईआर।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार खान विभाग के प्रधान सचिव टी. रविकांत ने बताया कि अवैध ख़नन से जुड़े मामले में नोटिस, जुर्माना जैसी सभी तरह की कार्रवाई शामिल होती है। एफ़आईआर सिर्फ पुलिस में दर्ज हमला या चोरी जैसे गंभीर मामलों के लिए होती है। ज्यादातर मामले छोटे स्तर पर ही मामूली कार्रवाई से निपटा दिए जाते हैं इसलिए एफआईआर कम होती हैं।
जुर्माने की वसूली
पिछले सात सालों में राज्य में 637.16 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया। अरावली जिलों में कांग्रेस के 5 साल में 231.75 करोड़ और बीजेपी के दो साल में 136.78 करोड़।
इसके अलावा 3736 लोग गिरफ्तार हुए, जिनमें अरावली में कांग्रेस के दौर में 1415 और बीजेपी के समय में 300 लोग। राज्य में कुल 70399 वाहन और मशीनें जब्त हुईं। इसमें से अरावली में कांग्रेस के समय में 29138 और बीजेपी के समय में 10616। 2024 में खनन माफिया ने 311 अधिकारियों और कर्मचारियों पर 93 हमले किए।
अरावली की नई परिभाषा से विवाद
अरावली की पहाड़ियाँ दशकों से कानूनी और अवैध खनन व विकास कार्यों से दबाव में हैं। नवंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने एक कमिटी की सिफारिश स्वीकार की जिसमें अरावली की नयी परिभाषा दी गई। नई परिभाषा के अनुसार, स्थानीय ऊँचाई से 100 मीटर या उससे ज्यादा ऊंची कोई भी भूमि अरावली पहाड़ी मानी जाएगी।इससे डर है कि छोटी पहाड़ियां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी और माइनिंग बढ़ेगी। हालांकि पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि विस्तृत अध्ययन तक कोई नई खनन लीज नहीं दी जाएगी। फिर भी राजस्थान और अन्य जगहों पर बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। एक सवाल यह उठ रहा है कि जिस तरह का आदेश निकालकर नयी लीज पर रोक लगाई गई है बाद में उसी तरह का आदेश निकालकर यह रोक चुपके से हटा ली जाए तो क्या खनन का रास्ता फिर से नहीं खुल जाएगा?
बीजेपी कहती है कि यह परिभाषा अवैध खनन रोकने के लिए वैज्ञानिक है और अरावली सुरक्षित है। कांग्रेस आरोप लगाती है कि इससे माफिया को फायदा होगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि अरावली के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी।