राजस्थान विश्वविद्यालय (आरयू) परिसर में विजयादशमी के अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने 'शस्त्र पूजन' कार्यक्रम का आयोजन किया। नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार शाम को इसका विरोध किया तो पुलिस ने आकर लाठीचार्ज कर दिया। तेज बारिश के बीच एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और एबीवीपी सदस्यों के बीच झड़पें हुईं, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति को नियंत्रित करने का दावा किया। इस घटना में कम से कम दर्जनों एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि तीन से अधिक कार्यकर्ता घायल बताए जा रहे हैं। वाहनों को भी नुकसान पहुंचा।
घटना मंगलवार (30 सितंबर 2025) शाम को लॉ कॉलेज ग्राउंड में हुई, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता निम्बाराम मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। एबीवीपी ने इसे दशहरा उत्सव का हिस्सा बताया, लेकिन एनएसयूआई ने इसे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल के खिलाफ सांप्रदायिक प्रचार का प्रयास करार दिया। प्रदर्शनकारियों ने कार्यक्रम का पोस्टर फाड़ा और स्टेज को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके जवाब में आरएसएस स्वयंसेवकों ने भी कथित तौर पर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर डंडों से हमला किया। 
बुधवार को कुछ छात्रों को जमानत मिलने की खबरें हैं, लेकिन एनएसयूआई ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को अनुमति देने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पीटीआई वीडियो के अनुसार, घटनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। एनएसयूआई ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है, जबकि एबीवीपी ने इसे "शांतिपूर्ण उत्सव" बताकर एनएसयूआई पर कानून व्यवस्था भंग करने का आरोप लगाया। 

बीजेपी-आरएसएस की नफरत भरी राजनीतिः टीकाराम

विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री से हिरासत में लिए गए सभी एनएसयूआई कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की। उन्होंने कहा, "बीजेपी-आरएसएस की नफरत भरी राजनीति के खिलाफ प्रदर्शन करने पर एनएसयूआई नेताओं पर लाठीचार्ज, वाहनों की तोड़फोड़ और गिरफ्तारी अत्यंत निंदनीय है। मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि शिक्षा के मंदिरों को राजनीतिक अखाड़ा न बनाएं।"
पुलिस ने गांधी नगर थाने की टीम के नेतृत्व में भारी बल तैनात किया था। अधिकारियों के अनुसार, एनएसयूआई कार्यकर्ता बिना अनुमति के कैंपस में घुसने और कार्यक्रम भंग करने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए लाठीचार्ज जरूरी था। हालांकि, एनएसयूआई नेताओं ने इसे 'पुलिस का दमनकारी रवैया' बताया। एनएसयूआई के राज्य अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने कहा, "विश्वविद्यालय ज्ञान, वैज्ञानिक चिंतन और समावेशी विचारधारा के केंद्र होने चाहिए, न कि राजनीतिक या सांप्रदायिक संगठन के मंच। आरएसएस जैसे संगठन का कार्यक्रम आयोजित करना संविधान की मूल भावना, शैक्षणिक स्वायत्तता और लोकतांत्रिक मूल्यों का सीधा उल्लंघन है।"
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पुलिस कार्रवाई को "निंदनीय" करार देते हुए घायल कार्यकर्ताओं के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और कहा, "शिक्षा संस्थानों को राजनीति का केंद्र नहीं बनने देना चाहिए।"
एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश कुमार भाटी ने लाठीचार्ज और हमले की निंदा करते हुए कहा, "एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर हमला और उनके वाहनों को तोड़फोड़ करना पूरी तरह गलत है।" छात्र नेता माहेश चौधरी ने जोड़ा, "छात्रों को पीटा गया, वाहन तोड़े गए। यह असहनीय है। विश्वविद्यालय शिक्षा का मंदिर है, न कि किसी पार्टी का अड्डा। शस्त्र पूजन जैसी घटना नियमों के विरुद्ध है।"

पुलिस आरएसएस के दबाव मेंः अशोक गहलोत

घटना के बाद राजस्थान की राजनीति गरम हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरएसएस कार्यक्रम की निन्दा की। पूर्व सीएम ने कहा- राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS द्वारा शस्त्र पूजा का कार्यक्रम रखना ही आपत्तिजनक है। शिक्षा के स्थान को इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना कैसे उचित माना जा सकता है? जब NSUI के कार्यकताओं ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने बल प्रयोग किया। इसके साथ ही, RSS के कार्यकर्ताओं ने कानून को अपने हाथों में लेकर NSUI के कार्यकताओं से मारपीट की। यह दिखाता है कि राजस्थान में अब कानून का राज खत्म होता जा रहा है और RSS ही एक्स्ट्रा कॅन्सिट्यूशनल अथॉरिटी बन गई है। इस घटनाक्रम की जितनी निंदा की जाए वो कम है। बड़े शर्म की बात है कि यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई और पुलिस इसे रोकने में असफल रही। इसका आशय है कि पुलिस RSS के दबाव में है। यदि पुलिस इसी तरह दबाव में रही तो कानून व्यवस्था कैसे संभालेगी।