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आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का मुद्दे मजबूत से उठाया और ऐसा करने का अपना वायदा दुहराया है। दिल्ली को पूर्ण राज्य बनवाने के मसले पर कुछ प्रश्न लगातार उठाए जा रहे हैं। जैसे -
7 सांसद और पूर्ण राज्य
आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में विश्व के तमाम देशों की राजधानियों जैसे लंदन (यू. के), बर्लिन (जर्मनी) मास्को (रूस) और मैक्सिको सिटी (मैक्सिको) की स्थिति की दिल्ली से तुलना की है। यदि इन राजधानियों में पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण, जमीन और शहरी योजनाएँ, आवास और परिवहन योजनाएं तथा स्थानीय निकायों पर नियंत्रण, वहां की चुनी हुई सरकारों के पास है, तो दिल्ली में भी ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
85% आरक्षण
दिल्ली की जनता की बेहतरी के लिए 85% आरक्षण की माँग नाजायज़ नहीं है। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली में संस्थानों की कमी है।
ऐसे में दिल्ली वासियों के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के विकल्प उपलब्ध कराना यहां की चुनी हुई सरकार की ज़िम्मेदारी है।
केंद्र का नियंत्रण?
दिल्ली के पूर्ण राज्य बन जाने से केंद्र और राज्य की शक्तियाँ निर्धारित हो जाएँगी, जिससे उनका आपसी टकराव ख़त्म हो जाएगा। राज्य की चुनी हुई सरकार राज्य की जनता के प्रति अधिक जवाबदेह बन पायेगा। देश के पूर्ण राज्यों में विधायिका और कार्यपालिका से संबंधित अनेक शक्तियाँ चुनी हुई राज्य सरकारों के पास हैं। लेकिन केंद्र शासित सरकार का हवाला देकर दिल्ली की चुनी हुई राज्य सरकार को वंचित कर दिया