कोई इंसान इतना प्यारा और इतना दुलारा हो सकता है मैंने ना आज तक सुना और ना ही देखा था। लेकिन असम की ज़मीन पर जो नज़ारे देखे तो मुझे भी ज़ुबीन गर्ग, प्यार से ज़ुबीन दा से इश्क़ हो गया। किसी इंसान की मौत इतनी शानदार और जानदार हो सकती है, इसका मुझे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। जैसे ही ज़ुबीन दा की मौत की ख़बर आयी, ऐसा लगा जैसे असम के हर घर में कोई अल्लाह को प्यारा हो गया हो।
ज़ुबां ज़ुबां पे ज़ुबीन... असमी संस्कृति की जीवनरेखा थे!
- पाठकों के विचार
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- 26 Sep, 2025
गायक ज़ुबीन गर्ग के निधन पर असम शोक में डूबा। लाखों लोग श्रद्धांजलि देने उमड़े, शहरों में बाज़ार बंद और ब्रह्मपुत्र तट पर गहरा मातम छाया। पढ़िए, लेखिका व कवयित्री सोनल निर्मल नमिता कैसे याद करती हैं।

जुबीन गर्ग की मृत्यु
मैं तो उन्हें फ़क़त एक सिंगर के हवाले से ही जानती थी लेकिन वो तो असम के लोगों के लिये ऑक्सिजन ऑफ लाइफ थे। जब उनका पार्थिव शरीर सिंगापुर से गुवाहाटी पहुँचा तो मंज़र देखने लायक था। लाखों की तादाद में लोग सड़कों पर उतर आए, अपने ज़ुबीन दा, अपने दिलकश चाँद को देखने के लिए। ऐसा लगा कि जैसे सारा का सारा असम एक जगह पर इकट्ठा हो गया है। एयरपोर्ट से उनके घर का सफ़र सात घंटों में तय किया गया जो दुनिया के किसी सातवें अजूबे से कम नहीं। पूरे असम राज्य में मातम पसर गया, दुकानें बंद हो गयीं, लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले, राज्य शोक घोषित किया गया, ब्रह्मपुत्र के अलावा ना जाने कितनी अश्रुपूरित नदियां वजूद में आ गईं, जीवन मानो रुक सा गया हो वो भी एक व्यक्ति के जाने से।