पीएम मोदी ने 16 जुलाई, 2022 को रेवड़ी संस्कृति का जुमला क्या फेंका कि सारा हिंदुस्तान उसको लपकने के लिए उतावला हो गया। सुप्रीम कोर्ट भी अपने को रोक न सका। किन्तु वह भी असमंजस में लगता है तो आम आदमी का क्या होगा? प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि रेवड़ी कल्चर विकास के लिए बहुत घातक है और उसे देश की राजनीति से हटाना होगा क्योंकि रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर, उन्हें खरीद लेंगे।
'रेवड़ी' का चक्कर, क्या सुप्रीम कोर्ट बनेगा घनचक्कर?
- पाठकों के विचार
- |
- |
- 24 Aug, 2022

चुनाव से पहले फ्रीबी के वादे अब मुद्दा बन रहा है? लेकिन सवाल है कि किसे चुनावी रेवड़ियाँ कहा जाएगा और किसे कल्याणकारी योजना? सुप्रीम कोर्ट यह कैसे तय कर पाएगा?
लेकिन मुद्दा बहुत गहरा और विवादास्पद है क्योंकि राजनीति और अर्थनीति इससे गुथी हुई हैं। राजनीति इसलिए कि कौन नहीं था; कौन पार्टी नहीं थी जिसने इस विषय पर अभी तक राजनीति नहीं की? किसने रेवड़ियां नहीं बाँटी और किसने वोट की गंगा में स्नान नहीं किया? जो रेवड़ियां बांटते -बांटते थक गए या वे जो अब भयभीत हैं कि इस रेस और दंगल के नए पहलवानों ने उनके दावों को समझ लिया है, अब वे कहीं पटकनी न दे दें, इसलिए राजनीति ने अर्थनीति का दामन पकड़ लिया है।