हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस बार विवाद का केंद्र है उनके कथित तौर पर 17 सितंबर 2025 को बिहार के गया में अपनी स्वर्गीय मां हीराबेन का पिंडदान करने की योजना। हालाँकि, इस योजना के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इस बारे में कुछ मीडिया रिपोर्टों के बाद विपक्षी दलों के नेता और सोशल मीडिया यूज़र पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं। सोशल मीडिया पर पूछा जा रहा है कि जब पीएम मोदी के छोटे भाई ने माताजी, पिताजी का 7 मई 2023 को पिंडदान कर दिया है, तो मोदी फिर से गयाजी जाकर 17 सितंबर को माताजी का पिंडदान क्यों करने वाले हैं? 

इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के एक बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। सुप्रिया ने सवाल उठाया है कि हिंदू धर्म में पिंडदान एक बार ही होता है तो पीएम मोदी दोबारा यह अनुष्ठान क्यों कर रहे हैं? इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि जब उनके भाई ने पहले ही पिंडदान कर दिया था, तब पीएम मोदी कर्नाटक में रोडशो क्यों कर रहे थे?

पिंडदान का महत्त्व क्या?

हिंदू धर्म में पिंडदान एक अहम अनुष्ठान है, जो पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है। गया, बिहार को इस अनुष्ठान का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और उनके वंशजों को आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह अनुष्ठान सामान्य रूप से पितृपक्ष के दौरान किया जाता है जो हर साल सितंबर-अक्टूबर में पड़ता है।

इसी बीच पीएम मोदी को लेकर ख़बर आई। 'वन इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2025 को गया में अपनी स्वर्गीय मां हीराबेन मोदी का पिंडदान करने जा सकते हैं। हालाँकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। लेकिन रिपोर्टों में कहा गया है कि स्थानीय अधिकारियों ने पिंड दान के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इस खबर ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। 
8 सितंबर को सुप्रिया श्रीनेत ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में पीएम मोदी पर सवाल उठाए। कांग्रेस की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने एक्स पर पोस्ट किया, "जिसने अपनी माँ की आत्मा की शांति के लिए उनके देहांत के बाद मुंडन नहीं कराया, वह वोट के लिए तीन साल बाद चुनावी राज्य में 'माँ का पिंडदान' करने जा रहा है! गिरे तो बहुत होंगे राजनीति में, लेकिन इतना कोई गिरा ना होगा।"
सुप्रिया और पंखुड़ी का यह बयान पीएम मोदी की मंशा पर निशाना साधता है। उनका दावा है कि पीएम मोदी के छोटे भाई ने 7 मई 2023 को हीराबेन मोदी और उनके पिता का पिंडदान कर दिया था। ऐसे में दोबारा पिंडदान करने की आवश्यकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा, सुप्रिया ने यह भी आरोप लगाया कि जिस दिन यह पिंडदान हो रहा था, उस दिन पीएम मोदी कर्नाटक में रोडशो कर रहे थे, जिसे उन्होंने धार्मिक संवेदनाओं की उपेक्षा के रूप में पेश किया। 

सोशल मीडिया पर तंज

सोशल मीडिया पर लोगों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ यूजरों ने इसे पीएम मोदी के खिलाफ राजनीतिक हमला करार दिया, जबकि कुछ ने धार्मिक परंपराओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, 'यह सिर्फ राजनीति है। पिंडदान जैसे पवित्र अनुष्ठान को भी विवाद का विषय बनाया जा रहा है।' वहीं, एक अन्य यूजर ने सुप्रिया के समर्थन में लिखा, 'अगर पिंडदान पहले हो चुका है तो दोबारा करने का क्या मतलब? क्या यह सिर्फ जनता का ध्यान खींचने का तरीका है?' कुछ यूज़रों ने इसे चुनावी पिंडदान करार दिया। मनीष कुमार नाम के यूज़र ने लिखा, 'पिंडदान ज्येष्ठ पुत्र करता है। वह कर चुका है। अब जो होने वाला है, चुनावी पिंडदान है।'
कुछ लोगों ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि क्या पीएम मोदी का गया दौरा केवल धार्मिक अनुष्ठान के लिए है या इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद भी हो सकता है। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है, कुछ लोगों ने इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़ा। 

सुबोध कुमार पांडेय नाम के एक यूज़र ने लिखा है, 'सूत्रों ने पुष्टि की है कि हीराबा का पिंडदान मोदी के भाई और परिवार द्वारा 7 मई 2023 को वाराणसी में पहले ही कर दिया गया था। उस समय मोदी कर्नाटक चुनाव के लिए बेंगलुरु में एक रोड शो में व्यस्त थे। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, पिंडदान केवल सबसे बड़े जीवित पुत्र द्वारा ही किया जा सकता है। कोई व्यक्ति जो खुद को गैर-जीवित बताता है, अचानक इस पवित्र कर्तव्य के लिए कैसे आगे आ सकता है? यह भक्ति नहीं, राजनीति है। अपनी माँ के नाम पर भावनाओं का शोषण। मैंने अपने जीवन में कभी किसी को सिर्फ़ राजनीतिक लाभ के लिए अपनी माँ का नाम इतनी बार घसीटते नहीं देखा। यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ।'
यह विवाद ऐसे समय में उठा है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। कांग्रेस और आरजेडी जैसे विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित गया दौरे और पिंडदान को लेकर उठा विवाद एक बार फिर से राजनीति और धर्म के बीच की रेखा को सामने लाता है। जहाँ एक ओर सुप्रिया श्रीनेत और विपक्ष ने इसे धार्मिक परंपराओं के दुरुपयोग और राजनीतिक स्टंट के रूप में पेश किया है, वहीं बीजेपी ने इसे व्यक्तिगत आस्था और संस्कृति पर हमला करार दिया है। सोशल मीडिया पर यह बहस और तेज होने की संभावना है, खासकर तब जब पितृपक्ष नजदीक है और बिहार में सियासी माहौल गर्म है। अब यह देखना बाकी है कि क्या पीएम मोदी वाकई 17 सितंबर को गया जाएंगे और यदि हां, तो इस दौरे का क्या प्रभाव होगा।