loader

नगा वार्ता लटकी, फिर सुलग सकता है पूर्वोत्तर, बढ़ सकता है अलगाववाद?

आज़ादी के बाद से ही अशांत रहने वाला पूर्वोत्तर एक बार फिर विस्फोटक स्थिति में पहुँच गया है। नगालैंड में शनिवार की शाम हुई फायरिंग, उसके बाद हिंसा व असम राइफ़ल्स व दूसरे जगहों पर हुए हमलों ने पूर्वोत्तर के 'फ़ॉल्ट लाइन्स' को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

वहाँ नगा विद्रोहियों के साथ एक दशक से भी लंबे समय से चल रही बातचीत एक बार अधर में लटक सकती है और अफ़्सपा जैसे क़ानून रद्द करने की माँग तूल पकड़ सकती है। 

इसके अलावा असम, त्रिपुरा और मणिपुर में चल रहे छिटपुट अलगाववादी आन्दोलनों को भी बल मिल सकता है। हाल यह है कि पूर्वोत्तर एक बार फिर सुलग सकता है।

राज्य से और खबरें

कोन्याक कबीले का गुट

बीते दो साल की बातचीत का यह नतीजा निकला था कि खांगो कोन्याक और निकी सुमी के गुट इस बातचीत में शामिल हो गए थे। सुमी गुट एनएससीएन (खापलांग) का हिस्सा था जबकि खांगो कोन्याक का गुट एनएससीएन (आई-एम) में रहते हुए भी बातचीत को आत्मसमर्पण मान रहा था। 

naga peace accord in crisis after Nagaland firing - Satya Hindi
नगा विद्रोही नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, थ्योलेंग मुईवा, अजित डोभाल व दूसरे लोग।
कोन्याक वह कबीला है जो नगालैंड में तो है ही, यह मणिपुर और उससे सटे म्यांमार में भी है। यह कबीला नगालैंड का सबसे बड़ा कबीला है। शनिवार की फ़ायरिेंग के बाद रविवार की शाम इस कबीले के संगठन कोन्याक यूनियन के दफ़्तर पर स्थानीय लोगों ने हमला किया और तोड़फोड़ की, आगजनी भी की। इससे लोगों के गुस्से को समझा जा सकता है। 

भारत विरोधी नैरेटिव

नगालैंड में एक भारत विरोधी नैरेटिव शुरू से ही है और भारतीयों को मोटे तौर पर वे लोग बाहरी मानते हैं। जब भारत सरकार से 1997 में बातचीत शुरू हुई थी तो उन्होंने इसे 'नगा-भारत बातचीत' का नाम दिया था। थ्योलोंग मुईवा और इसाक चिसी स्वू दोनों ने ही इसे 'नगा-भारत दोस्ती' का सबूत बताया था। यानी वे खुद को भारतीय नहीं मानते थे और इस बातचीत को 'दो राष्ट्रों के बीच की बातचीत' कहते थे। भारत ने इस स्टैंड को स्वीकार भी कर लिया था। 

अब जबकि इतना बड़ा कांड हो गया है और निर्दोष आम नागरिकों के बग़ैर किसी उकसावे के मारे जाने का आरोप लग रहा है तो यह भावना और भड़केगी। कोन्याक यूनियन के दफ़्तर पर हमला इसी भावना के भड़कने का उदाहरण है।

naga peace accord in crisis after Nagaland firing - Satya Hindi

वार्ता अधर में?

अब किसी भी नगा गुट के लिए बातचीत को आगे रखना कम से कम कुछ समय के लिए मुश्किल होगा। इसे इससे समझा जा सकता है कि कोन्याक यूनियन और दूसरे कई गुटों ने साफ कहा है कि वे राज्य सरकार के ख़िलाफ़ नहीं है, क्योंकि यह फायरिंग केंद्रीय सुरक्षा बलों ने की है, जिन पर राज्य का नियंत्रण नहीं है।

हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल

इसी तरह वहां चल रहे सालाना सांस्कृतिक उत्सव हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल का छह नगा कबीलों ने बॉयकॉट कर दिया है।

हालांकि राज्य सरकार ने रविवार को ही एलान किया था कि नगा हेरिटेज विलेज और जहाँ-जहाँ यह उत्सव चल रहा है, वहां उत्सव के पहले दो मिनट का मौन रख कर मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। पर नगा गुट इससे सहमत नहीं हैं और वे किसी कीमत पर हॉर्नबिल फेस्टिवल में शामिल होने को तैयार नहीं है। 
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अब जो गुट भारत सरकार के प्रति नरमी रखते थे या लड़ते लड़ते थक जाने की वजह से समझौता चाहते थे, उनकी राह मुश्किल हो गई है।

क्या कहना है एनएनपीजी का?

नगा नेशनल पीपल्स ग्रुप (एनएनपीजी) इनमें से एक है। अब वह भी बातचीत से पीछे हट रही है।

एनएनपीजी की स्टैंडिंग कमेटी ने एक प्रस्ताव पारित कर कह दिया है कि यह साफ हो गया है कि नगाओं को भारत से न्याय कभी नहीं मिल सकता है। 

एनएससीआईएन ने तो बकायदा एलान कर दिया है कि 1997 का भारत-नगा समझौता बहुत बड़ी भूल थी।

बता दें कि इस समझौते में नगा गुट संघर्ष विराम पर राजी हो गए थे, सुरक्षा बलों पर हमले रोकने और केंद्र सरकार से बातचीत करने पर राजी हो गए थे। अब वही गुट इसे बहुत बड़ी भूल बता रहा है। 

अफ़्सपा पर सवाल

इसके साथ ही आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट 1956 यानी अफ़्सपा को रद्द करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। दरअसल, जिस समय इसे लागू किया गया था, निशाने पर पूर्वोत्तर के राज्य ही थे और यह कहा गया था कि प्रतिकूल स्थितियों काम करने की वजह से सुरक्षा बलों के विशेष अधिकार मिलने चाहिए। बाद में इसे बढ़ा कर जम्मू-कश्मीर तक कर दिया गया। 

अफ़्सपा के ख़िलाफ़ लोगों के गुस्से को समझा जा सकता है। एनएनपीजी की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य जी झिमोमी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "नगा-भारत बातचीत ख़त्म हो गई है। यदि यह बातचीत रहती तो भारत ने अफ़्सपा वापस ले लिया होता और तब ऐसी वारदात नहीं होती।" 

naga peace accord in crisis after Nagaland firing - Satya Hindi

नगा मदर्स एसोसिएशन

इसी तरह नगा मदर्स एसोसिएशन ने रविवार को एक प्रेस बयान जारी कर कहा, "हम राज्य सरकार से यह माँग करते हैं कि वह अफ़्सपा के बढ़ते दुरुपयोग का संज्ञान ले और इसे हटाने की कोशिश करे।" 

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफिउ रियो ने कहा है कि अफ़स्पा को हटा दिया जाना चाहिए। 

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी कहा है कि अफ़स्पा को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए। 

naga peace accord in crisis after Nagaland firing - Satya Hindi
नगा मदर्स एसोसिएशन

पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस फ़ायरिेंग को महज एक गोलीबारी और कुछ लोगों की मौत मानना भूल होगी। इससे भारत के प्रति लोगों के मन में गुस्सा बढ़ेगा, अलगाव बढ़ेगा और भारत विरोधी भावना प्रबल होगी।

नगा बातचीत तो फिलहाल रुक ही जाएगी, त्रिपुरा, बोडोलैंड, मणिपुर जैसे अलगाववादी आन्दोलन को इससे ऑक्सीजन मिलेगा। वे लोग आम जनता के बीच यह संदेश लेकर जा सकते हैं कि 'भारत से उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है, उनके लोग निर्दोष मारे जाते रहेंगे और उनकी अलग होने की माँग जायज़ है।' इस भावना को रोकना लंबे समय के लिए मुश्किल होगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रमोद मल्लिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राज्य से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें