अजनाला में हुई घटना पंजाब के भविष्य को लेकर डराने वाली है। इसके पीछे का कारण अजनाला में हुई घटना के पीछे जो व्यक्ति है, वह बहुत तेज गति से बढ़ता तीस साल का एक लड़का है, अमृतपाल सिंह।
दशकों से 1984 के सिख विरोधी दंगे का साया कांग्रेस का पीछा करता रहा है और जब 'भारत जोड़ो यात्रा' पंजाब से होकर गुजरी तो राहुल का भी इससे सामना हुआ। जानिए उन्होंने क्या कहा।
क्या सिख विरोधी दंगे के गुनहगारों और सिखों का क़त्लेआम करने वालों को सजा मिल पाई? आख़िर इसमें कौन लोग शामिल थी और इसकी राजनीति करने वालों में कौन कौन लोग थे?
31 अक्टूबर को कैसे याद किया जाए? सामूहिक हिंसा, हत्या को मात्र एक हादसा मानकर आगे बढ़ जाए? या फिर इस पर आत्मनिरीक्षण किया जाए?
एसआईटी ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को लताड़ लगाते हुए कहा है कि उसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के अभियुक्तों को सजा दिलाने की कोई इच्छा नहीं दिखाई।
सिख विरोधी दंगों की जाँच करने वाली एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उस दौरान सिख समुदाय के लोगों के साथ जमकर हैवानियत की गई।
मनमोहन सिंह ने कहा है कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री नरसिम्हा राव ने पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की सलाह पर अमल किया होता तो सिख विरोधी दंगों को रोका जा सकता था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए सिख-विरोधी दंगों के दोषियों को आज तक सज़ा नहीं मिली, इसके उलट कई तो सरकार का हिस्सा बन गए थे।
1984 में एक से तीन नवंबर तक सिख दंगे में मारे गए लोगों को आज भी न्याय नहीं मिला है। वे 37 साल से पीड़ा झेलते आए हैं। आख़िर कब ख़त्म होगी उनकी पीड़ा?
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, डी. के. शिवकुमार के बाद अब कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। यह मामला सिख विरोधी दंगे से जुड़ा हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एसआईटी ने सिख विरोधी दंगे से जुड़े सात मामलों के फिर से खोलने का फ़ैसला किया है।