केनोशा में पिछले साल हुए नस्लभेद विरोधी प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की हत्या के अभियुक्त काइल रिटेनहॉउस को रिहा कर दिए जाने से क्या अमेरिका में नस्लवाद और बढ़ेगा?
सलमान खुर्शीद की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' को लेकर बीजेपी विवाद खड़ा कर रही है। लेकिन वास्तव में हिंदुत्व हिंदू धर्म की व्याख्या नहीं है।
यॉर्कशायर के खिलाड़ी अज़ीम रफ़ीक़ के साथ भेदभाव के मामले में जो रुख इंग्लैंड का रहा, क्या वैसा कभी भारत का भी हो पाएगा।
बीते कुछ सालों से यह कहा जा रहा है कि देश की आज़ादी के बाद से विद्वत्ता की सारी जगहें वामपंथियों ने हथिया लीं और दक्षिणपंथियों को बाहर रखा गया।
योगेंद्र यादव पर यह कार्रवाई लखीमपुर खीरी की हिंसा में मारे गए बीजेपी के एक कार्यकर्ता के घर जाने पर हुई है। यादव को एक महीने के लिए निलंबित किया गया है।
पंजाब के तरन तारन के रहने वाले दलित युवक लखबीर सिंह का शव शुक्रवार सुबह सिंघु बॉर्डर पर मिला था।
सावरकर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद एक बार फिर से विवाद छिड़ गया है।
आत्मग्रस्त समाज आत्मसजग समाज नहीं। जो अपनी रूह में और रूहों को जोड़ने की हिम्मत नहीं करता वह कायर ही हो सकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल में कहा कि लोगों को जोड़ने का काम राजनीति पर नहीं छोड़ा जा सकता।
एक महीने से अधिक हो गया, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सिलगेर में पूरे बस्तर से हजारों आदिवासी इकठ्ठा हो रहे हैं। वे सिलगेर में सीआरपीएफ़ का कैंप लगाए जाने का विरोध कर रहे हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक बयान पर चर्चा चल रही है। उन्होंने असम के (बांग्लाभाषी) मुसलमानों को सलाह दी कि वे परिवार नियोजन अपनाएँ और जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग करें।
क्या आपने आतंकवाद विरोधी शपथ ली है? सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करने की शपथ?
अशोका यूनिवर्सिटी से प्रोफ़ेसर प्रताप भानु मेहता के इस्तीफे के बाद उच्च शिक्षा संस्थानों में/की आज़ादी के प्रश्न पर बहस चल ही रही है।
दिल्ली को पूरी तरह अपने अँगूठे के नीचे लाने के लिए केंद्र सरकार ने जो कानूनी संशोधन प्रस्तावित किया है उसका सबसे पहला विरोध उमर अब्दुल्ला ने किया।
बिहार के छपरा स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के 16 अध्यापकों को विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष ने नाचने के चलते निलंबित कर दिया है।
मूर्खता की राष्ट्रीय, नहीं, नहीं, अंतरराष्ट्रीय परीक्षा आयोजित की जा रही है। इसमें उत्तीर्ण होने पर आप प्रामाणिक रूप से मूर्ख घोषित किए जा सकेंगे।
किसान आंदोलन क्यों इतना भड़का ? केंद्र सरकार के रवैये से क्यों बढ़ती जा रही है नाराज़गी ? आशुतोष ने बात की प्रो अपूर्नानंद से ।
बाइडन ने कहा कि जो हारे हैं वे भी अमेरिकी हैं। किसी और मौके पर यह सब कुछ बहुत ही घिसा-पिटा लगता लेकिन चुनाव नतीजों के बाद इस वक्तव्य को सुनते हुए रोने वालों की संख्या कम न थी।
फ्रांस में कुछ दिन पहले एक अध्यापक की सर काट कर की गई हत्या ने फ्रांस को ही नहीं, पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। कितना ही गंभीर धार्मिक अपमान या ईशनिंदा क्यों न हो, क्या हिंसा किसी भी तरह जायज़ ठहराई जा सकती है?
हाथरस बलात्कार व हत्या काड के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर हुए विरोध में समाज का हर तबका शामिल क्यों नहीं था? इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।