लोकसभा चुनाव में दिल्ली में मिली करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी का वजूद बचाकर रखने की है।
एक पखवाड़ा पहले तक जहाँ दिल्ली की राजनीति गठबंधन की अनिश्चितता में फँसी हुई थी, अब 12 मई को मतदान से पहले सब अकेले-अकेले अपना सबकुछ दाँव पर लगाए हुए हैं।
दिल्ली की सात लोकसभा सीटों की तसवीर साफ़ हो चुकी है। कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का समझौता नहीं हो पाया। इसका फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा भी या नहीं?