ऐसे समय जब अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेट उम्मीदवारों के बीच काँटे की टक्कर चल रही है और दोनों के बीच कई राज्यों में बहुत ही कम वोटों का अंतर है, देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
अमेरिकी चुनाव पर पूरे विश्व में ख़ास तौर पर बुद्धिजीवी और लिबरल लोगों को यक़ीन था कि इस बार बहुत बड़े अंतर से ट्रंप की विदाई होगी। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। आख़िर क्या है ट्रंप का जादू और क्यों हैं इतने लोकप्रिय?
ऐसे समय जब रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप डोमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन से लगभग 40 सीटों से पीछे चल रहे हैं और उनका जीतना बेहद मुश्किल हो चुका है, उनकी प्रचार टीम ने पेनसिलविनिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
अमेरिका के ऐतिहासिक और रोमांचक राष्ट्रपति चुनाव में वही हो रहा है जिसका डर था। चुनाव के दिन और उससे पहले हुए भारी मतदान के कारण काँटे की टक्कर वाले पाँच बड़े राज्यों में मतगणना पूरी करने में समय लग रहा है।
अमेरिका में चल रहे 59वें राष्ट्रपति चुनाव ने देश की दो बड़ी कमज़ोरियों को उजागर किया है। पहली यह कि अमेरिका दलगत राजनीति और संकीर्ण विचारधाराओं के आधार पर कितना बँटा हुआ है। दूसरी यह कि राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली में कितनी बड़ी ख़ामियाँ हैं।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के अब बस कुछ घंटे ही रह गए हैं। अटकले तेज़ है कि कौन चुनाव जीतेगा। साथ ही एक सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार गये तो क्या वो पूरी शालीनता से पद छोड देंगे?
अमेरिका सिखायेगा ट्रंप को सबक़? ट्रंप बाइडन से लगातार पीछे चल रहे हैं? सारे सर्वे उनके हार की भविष्यवाणी कर रहे हैं? क्या वो हार चुके हैं राष्ट्रपति का चुनाव? आशुतोष के साथ चर्चा में आलोक जोशी और स्मिता शर्मा!
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बहत्तर घंटों में ही राष्ट्रपति ट्रंप न केवल अस्पताल से लौट गए बल्कि व्हाइट हाउस की बालकनी में आकर मास्क उतार कर खड़े रहे। उनका संदेश सीधा था- वो एक मज़बूत राष्ट्रपति हैं जो वायरस से डरे नहीं बल्कि लड़े।
कोरोना से संक्रमित अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का इलाज स्टेराइड से किया जा रहा है। इस दवा के चमत्कार और इसके पीछे की राजनीति को बता रहे हैं ब्रिटेन के डा अशोक जैनर और एल एन जे पी के प्रोफ़ेसर डा विनोद कुमार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का कोरोनाग्रस्त होना किस बात का सूचक है? कई बातों का है। इनमें से एक है- राष्ट्रपति के चुनाव में उनकी हार। इस हार पर उनके कोरोना ने पक्की मुहर लगा दी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को कोरोना होने की खबर से शेयर बाज़ार को झटका लगा और सोने में उछाल आ गया। उधर दिग्गज निवेशक जिम रोजर्स ने चेताया है कि बाज़ार में एक बम जैसा हाल बन रहा है जो कभी भी फट सकता है। क्या है रास्ता और क्या असर हो सकता है भारत के बाज़ारों में?