अमित मालवीय बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख हैं। और यह वह पार्टी है जो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है। क्या ऐसी पार्टी के आईटी सेल के हेड से उम्मीद की जा सकती है कि वह 'फ़ेक न्यूज़' सोशल मीडिया पर पोस्ट करें?
ख़ून में सना एक व्यक्ति के हंगामा करने के एक वीडियो में दावा किया गया है कि '14 दिन के एकांतवास में भी इन तब्लीग़ी जमात के लोगों ने अश्लीलता और आतंक मचा रखा है'। पढ़िए झूठ या सच।
नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद से सोशल मीडिया पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत का जो मौहाल तैयार किया जा रहा है, क्या वह स्वतस्फूर्त है या इसके पीछे किसी की साजिश है?
सोशल मीडिया ने लोगों को सशक्त बनाया है या शक्तिहीन? यह सवाल इसलिए कि सोशल मीडिया अब लोगों को गुमराह, प्रभावित और दिग्भ्रमित करने का एक कपटी हथियार बन गया है।
अनुच्छेद 370 में फेरबदल किए जाने से कश्मीरी महिलाओं व लड़कियों को निशाने पर क्यों लिया जा रहा है। इनको लेकर जो कुंठा सामने आ रही है, वह सामान्य नहीं है। यह डराने वाली स्थिति है।
क्या फ़ेक न्यूज़ रोकने के नाम पर सरकार मीडिया में आलोचना और असहमति के बचे-खुचे स्वर को दबाना चाहती है? क्या हो रहा है दुनिया में?
जो ज़्यादा झूठ बोलेगा वही सत्ता हथियाएगा! कई शोधों से यह बात निकलकर सामने आती है। झूठी ख़बरों लोग ज़्यादा यक़ीन कर लेते हैं। तो क्या दुनिया भर में सरकारें इसी आधार पर बहुमत तय कर रही हैं?