जलवायु परिवर्तन को जानना और महसूस करना हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन सरकारों को यह महसूस नहीं होता। वे 2047 तक विकसित भारत की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं लेकिन वे आने वाली पीढ़ी के सांस लेने का इंतजाम नहीं कर रहे हैं। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने पर्यावरण को अति गंभीरता से लेने की बात इस लेख में कही है। पढ़िएः
जलवायु परिवर्तन यानी जहरीली होती हवा, कभी अधिक गर्मी तो कभी अधिक सर्दी, कहीं सूखा तो कहीं बाढ़। अप्रत्याशित होते जा रहे मौसम को लेकर 2023 बड़ी चेतावनी दे गया है।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का कृषि पर क्या असर होगा, यह गेहूँ की फ़सल पर इस बार साफ़ दिख गया। गेहूँ के दाने सूख गए। तो क्या आगे जल्द ही भुखमरी का संकट आने वाला है?
संयुक्त राष्ट्र के इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने अपनी छठी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति अनुमान से बदतर है और जो नुक़सान हो चुका है, वह ठीक नहीं होगा या उसमें हज़ारों साल लगेंगे।