खाने-पीने तक सब सामान मिलावटी हैं, अब ये हिंदी 'शुद्ध' करेंगे!
जहाँ हवा और पानी तक शुद्ध नहीं, दूध और घी में धड़ल्ले से मिलावट जारी है, दवा, डॉक्टर और पीएमओ के अधिकारी तक जिस सरकार में जाली नसीब हो जाते हैं, दिवाली में मिठाई तक शुद्ध नहीं मिलती, वहाँ भाषा तो शुद्ध ज़रूर होनी चाहिए!