त्योहारों का उद्देश्य समाज में सौहार्द्र बढ़ाना है, लेकिन हाल के वर्षों में इनके दौरान सांप्रदायिक तनाव बढ़ते दिख रहे हैं। क्या त्योहार अब दंगों के बहाने बन गए हैं? जानिए इसके पीछे के कारण और समाधान।
होली के बीच रमज़ान के दौरान मस्जिदों को तिरपालों से ढँकने और जुमे की नमाज़ का समय बदलने का मामला सुर्खियों में है। आख़िर इसको लेकर पीएम मोदी चुप क्यों हैं? जानिए पूरी रिपोर्ट।
भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब में होली का विशेष स्थान था, जहाँ मुग़ल बादशाह भी रंगों में सराबोर होते थे। लेकिन आज माहौल बदल रहा है—मस्जिदों को ढंका जा रहा है। ऐसा क्यों? पढ़ें इतिहास और वर्तमान के बदलते रंग।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । होली पर ‘छेड़छाड़’ को लेकर बोली जापानी लड़की, मांगी माफ़ी। दिल्ली शराब नीति में नया मोड़: कोर्ट पहुंचे पिल्लई, ED पर गंभीर आरोप
देश के जाने-माने हिन्दी पत्रकार हेमंत शर्मा होली के मूड में हैं। लेकिन होलियाना मूड में उन्होंने जो लिखा है वो सांस्कृतिक रूप से दरिद्र हो रहे समाज को चेताननी है। होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं है। इसे आपको समझना होगा। पढ़िए उनका यह शानदार आलेखः
उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में होली से पहले प्रशासन मसजिदों को ढँक रहा है। इस पर सवाल उठ सकते हैं कि मसजिदों को क्यों ढँका जा रहा है?
कृष्ण की होली की जो भी कथायें हमने सुनीं हैं उनका संदेश क्या है? जानिए कृष्ण, उनके सखाओं, गोपियों और सभी क्षेत्र के बाशिंदों के बीच होली के क्या मायने हैं।
होली का उल्लास, उमंग कम होता जा रहा है, वह चुहल नहीं रही, वह मादकता नहीं बची। उसकी जगह ले ही है अभिजात्यपूर्ण गंभीरता या सस्ती और ओछी मद्यपता ने।
कोरोना वायरस और दिल्ली दंगे का खौफ़ कितना ज़्यादा है? इसका अंदाज़ा होली जैसे उत्सव के माहौल से लगाया जा सकता है। होली जो देश में खुशियों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।
किसी भी शताब्दी के शायर हों सभी शायरों ने अवाम को सबसे ऊपर रखा और लोक संस्कृति को बनाए, बचाए रखने की जमकर पैरोकारी भी की। ख़ुद भी रंगे और जमाने को भी रंग दिया।
जो अपने अंदर की बुराई को न मार सके, जो अपने अहंकार को कम न कर सके, ऐसा समुदाय होलिका दहन करता हुआ क्या फूहड़ नहीं लगता है?