नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा यानी एनएसडी के भारतीय रंग महोत्सव (भारंगम) में बिदेसिया का प्रदर्शन हुआ। जानिए, बिदेसिया के बारे में।
आधुनिक भारतीय रंगमंच के चार व्यक्तित्वों- हबीब तनवीर, इब्राहीम अल्काजी, बादल सरकार और तापस सेन की आजकल जन्मशती चल रही है।
रंगमंडल साठ साल पहले यानी 1964 में अस्तित्व में आया। रंगमंडल ने अपने साठ साल पूरे किए हैं। जानिए, कैसे इसने अपनी कैसे पहचान बनाई।
पिछले हफ्ते राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों ने अभिमंच सभागार में असम की `अंकिया भावना’ रंग परंपरा का प्रशिक्षण पाने के बाद `राम विजय’ नाटक का मंचन किया।
‘छोड़ चला बंजारा’ को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पच्चीसवें रंग महोत्सव में पेश किया गया। जानिए, कैसी रही प्रस्तुति।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन एस डी) के रंग महोत्सव 24 में नाटक "जीने भी दो यारों" का मंचन किया गया। जानिए, क्या है इस नाटक का कथ्य।
लैला मजनूं को प्रसिद्ध नाटककार राम गोपाल बजाज ने नए तरीके से छुआ है। वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने इस नाटक को देखा और उसका किस्सा कुछ यूं बयान किया है।