भारत में कई स्थानीय और क्षेत्रीय नाट्य परंपराएँ रही हैं जिन्होंने इतिहास के लंबे कालखंड में भारतीय नाट्य कला को विस्तार और गहराई दी है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (रानावि) का एक रिवाज रहा है कि वो अपने विद्यार्थियों को देश के ऐसे कुछ हिस्सों में कुछ दिनों के लिए भेजता रहा है ताकि वे स्थानीय गुरुओं या विशेषज्ञों से इन स्थानीय परंपराओं को भी सीख सकें और बाद में यानी रानावि से निकलने के बाद इन शैलियों का अपने नाटकों में प्रयोग कर सकें। पिछले हफ्ते रानावि के प्रथम वर्ष के छात्रों ने अभिमंच सभागार में असम की `अंकिया भावना’ रंग परंपरा का प्रशिक्षण पाने के बाद `राम विजय’ नाटक का मंचन किया। अध्यापक भबानंद बरबायन के निर्देशन में ये प्रशिक्षण कार्यक्रम चला था। लगभग दो घंटे का ये नाटक ये भी याद दिलानेवाला था कि भारत में कई उत्कृष्ट नाट्य परंपराएं ऐसी भी हैं जिनके बारे में देश के दूसरे हिस्सों में कम लोग जानते हैं।
अंकिया भावना में `राम विजय’
- विविध
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- 18 Aug, 2024

पिछले हफ्ते राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों ने अभिमंच सभागार में असम की `अंकिया भावना’ रंग परंपरा का प्रशिक्षण पाने के बाद `राम विजय’ नाटक का मंचन किया।
इस प्रस्तुति पर बात करने के पहले `अंकिया भावना’ के इतिहास को जान लिया जाए। अतिसंक्षेप में ये कि ये सिर्फ नाट्य कला नहीं है। ये मध्यकाल के भारत की भक्ति परपंरा का भी हिस्सा रहा है जो आज भी अटूट और अबाधित रूप से जारी है। हालांकि भारत में भक्ति परंपरा के भीतर भी कई परंपराएं रहीं।