नृत्य के लय, नाटक की किस्सागोई और अभिनय की भाव अभिव्यक्ति से ओत प्रोत डांस बैले “ब्लैक स्वान” को पश्चिम और पूरब का फ्यूजन कहा जा सकता है। नृत्य में प्रयोग धर्मिता के लिए मशहूर निहारिका सफाया की टोली ने दिल्ली के एक मशहूर रंगमंच पर प्रस्तुत किया और देश के दूसरे हिस्सों में ले जाने का संकल्प भी दोहराया। ब्लैक स्वान का कथा सूत्र फ्रांस के सत्रहवीं सदी के डांस बैले “स्वान लेक” पर आधारित है लेकिन निहारिका ने उसमें कत्थक, भरत नाट्यम और मणिपुरी नृत्य शैलियों का उपयोग करके उसे आधुनिक भारतीय रंग दे दिया।

स्वान लेक की कहानी बहुत सरल है। कहानी की नायिका एक राज कुमारी है जो एक झील के किनारे अपनी सहेलियों के साथ आनंद में मगन है। एक दुष्ट को उससे एक तरफ़ा प्रेम हो जाता है। राज कुमारी उसके प्रेम को ठुकरा देती है। इससे नाराज़ होकर दुष्ट उसे सहेलियों के साथ स्वान यानी हँस बना देता है। और उसे शाप देता है कि वो सिर्फ आधी रात को स्त्री के रूप में नजर आएगी।