प्रेमचंद 140 : 10वीं कड़ी : अज्ञेय ने कहा था, नैतिक मानव की खोज में थे प्रेमचंद
माखनलाल चतुर्वेदी ठीक ही प्रेमचंद की ‘कठोर मज़दूरी को चिह्नित करते हैं। उनकी भाषा जो इतनी सहज जान पड़ती है, पानी की तरह बहती हुई, उसके पीछे शब्दों और भाषा की दीर्घ साधना तो है ही, ख़ुद का उनके साथ घोर परिश्रम है।