रफ़ाल सौदे में नया खुलासा यह है कि फ्रांसीसी कंपनियों को जो रियायतें दी गईं, वह उससे पहले कभी किसी कंपनी को नहीं मिली थी। ऐसा क्यों हुआ?
मोदी 2014 के चुनावों के महानायक बने। लोगों को उम्मीद थी कि वह भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए ठोस क़दम उठाएँगे। 2014 में लोकपाल की नियुक्ति भी बड़ा मुद्दा थी।
सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि रफ़ाल मामले में सुनवाई के लिए दायर की गयी पुनर्विचार याचिका के साथ रखे गए ऐसे दस्तावेज़ों पर सरकार का विशेषाधिकार है।
रफ़ाल सौदे पर भारतीय राजनीति में तूफ़ान मचा है। कहीं ‘सबसे बड़े घोटाले’ का शोर है तो कहीं ‘राष्ट्रहित के सौदे’ का गुणगान। तो सच क्या है?