विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम ने करूर रैली में हुई भगदड़ की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर रविवार को मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पार्टी का आरोप है कि यह हादसा नहीं, बल्कि एक 'साज़िश' का नतीजा था। पार्टी ने भीड़ पर पत्थरबाजी और मौके पर पुलिस की लाठीचार्ज का ज़िक्र किया। इधर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने विजय और रैली के आयोजकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसने दावा किया है कि यह 'जानबूझकर भीड़ जुटाने' की साजिश थी क्योंकि भीड़ को 7 घंटे तक इंतज़ार कराया गया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस घटना की जांच के लिए रिटायर्ड हाई कोर्ट जज जस्टिस अरुणा जगदीसन के नेतृत्व में एक जांच आयोग के गठन की घोषणा की है। तमिलगा वेट्री कझगम प्रमुख विजय की रैली में भगदड़ में कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई, जिसमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। 100 से ज़्यादा घायल हुए हैं। इस त्रासदी ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। 

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये और अस्पतालों में भर्ती घायल लोगों को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। टीवीके सचिव के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई है। टीवीके प्रमुख विजय ने कहा है कि इतनी पीड़ा और दुख है कि शब्दों में बयां नहीं कर सकता। रविवार को अपने समर्थकों को एक संदेश में विजय ने कहा कि उनका दिल टूट गया है और उन्होंने मृतकों के परिवारों को 20 लाख रुपये और घायलों को 2 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने करूर भगदड़ पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की। 
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भगदड़ की त्रासदी

करूर के वेलुसाम्यपुरम में आयोजित तमिलगा वेट्री कझगम यानी टीवीके की रैली में हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे। वे राजनेता से नेता बने विजय का भाषण सुनने के लिए सुबह से ही इंतजार कर रहे थे। रिपोर्टों में पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आयोजकों ने 10 हज़ार लोगों की उपस्थिति के लिए अनुमति ली थी, लेकिन अनुमानित तौर पर 30 हज़ार लोग रैली में पहुंचे। भीड़ इतनी घनी थी कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। शाम करीब 7:30 बजे जब विजय अपनी प्रचार वैन से भाषण दे रहे थे तो भीड़ में कई लोग बेहोश होने लगे। उसी दौरान भगदड़ हो गई।

विजय ने स्थिति को बिगड़ता देख अपने भाषण को बीच में रोक दिया। उन्होंने माइक्रोफोन के जरिए पुलिस और कार्यकर्ताओं से मदद की अपील की। हालांकि, घनी भीड़ के कारण एम्बुलेंस को मौके पर पहुंचने में कठिनाई हुई। कई लोग, विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे, इस भगदड़ में कुचल गए। घायलों को करूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल और निजी अस्पतालों में ले जाया गया। घायलों में से 51 लोग आईसीयू में भर्ती हैं।

7 घंटे की देर से भीड़ बेकाबू: पुलिस

तमिलनाडु के पुलिस प्रमुख जी. वेंकटरामन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि विजय के रैली स्थल पर सात घंटे की देरी से पहुंचने के कारण समर्थकों की भीड़ बेकाबू हो गई। वेंकटरामन ने कहा, 'पहले टीवीके की रैलियों में कम लोग आते थे, लेकिन इस बार उम्मीद से कहीं ज़्यादा भीड़ थी।' 

तमिलनाडु पुलिस ने कहा कि टीवीके पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर घोषणा की थी कि विजय दोपहर 12 बजे सभा स्थल पर पहुंचेंगे लेकिन आए पाैने आठ बजे। जिसके बाद भीड़ में काफी इजाफा हुआ।

उन्होंने कहा, 'अनुमति दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे के बीच मांगी गई थी। टीवीके के ट्विटर अकाउंट पर लिखा था कि वह 12 बजे आएंगे, लेकिन भीड़ सुबह 11 बजे से ही आने लगी। वह शाम 7.40 बजे आए। तेज धूप में लोगों को पर्याप्त खाना-पीने का सामान नहीं मिल पाया। ...भीड़ में भगदड़ क्यों मची, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी।'

डीएमके का गंभीर आरोप

डीएमके के प्रवक्ता सर्वनन अन्नादुरई ने इस त्रासदी के लिए विजय और टीवीके के आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'यह आयोजकों की सोची-समझी साजिश थी। विजय ने साफ़ किया था कि रैली दोपहर 12:30 बजे शुरू होगी, लेकिन वह शाम 7:40 बजे पहुंचे। लोगों को 6-7 घंटे तक धूप में बिना पानी या भोजन के इंतजार करना पड़ा। यह भीड़ जुटाने का सस्ता हथकंडा था, जिसमें आपराधिक लापरवाही बरती गई।' अन्नादुरई ने जोर देकर कहा कि विजय को इसकी जिम्मेदारी से बचने नहीं दिया जा सकता और जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

बीजेपी नेता अश्वथामन अल्लियमुथु ने कहा, 'यह बहुत दुखद और चौंकाने वाला है। यह एक अपूरणीय क्षति है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। आयोजकों की जिम्मेदारी थी और राज्य सरकार को भी इस मामले में अधिक सतर्क रहना चाहिए था।'
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मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस घटना को हृदयविदारक करार देते हुए कहा कि तमिलनाडु के इतिहास में किसी राजनीतिक आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं हुई। उन्होंने मृतकों के परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की। स्टालिन ने रविवार तड़के करूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में घायलों और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और राहत कार्यों की समीक्षा की।

उन्होंने कहा, 'जांच आयोग इस त्रासदी के कारणों का पता लगाएगा। मैं किसी राजनीतिक मकसद से कुछ नहीं कहना चाहता। आयोग की रिपोर्ट के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।' स्टालिन ने त्रिची, सलेम और डिंडीगुल के जिला कलेक्टरों को करूर में राहत कार्यों के समन्वय के लिए निर्देश दिए। पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी और शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी ने तुरंत अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

जांच आयोग का गठन

मुख्यमंत्री ने रिटायर्ड हाई कोर्ट जज जस्टिस अरुणा जगदीसन के नेतृत्व में एक एकल-सदस्यीय जांच आयोग के गठन का ऐलान किया। जस्टिस जगदीसन को पहले 2018 के थूथुकुडी पुलिस फायरिंग मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया था, जिसमें उनकी रिपोर्ट ने पुलिस कार्रवाई को अनुचित बताया था। उनकी नियुक्ति को इस संवेदनशील मामले की गहन जांच के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प के रूप में देखा जा रहा है। आयोग से जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने की अपेक्षा की गई है।
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विजय का बयान

टीवीके प्रमुख विजय ने देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा, 'मेरा दिल टूट गया है; मैं असहनीय, अवर्णनीय दर्द और शोक में डूबा हुआ हूं। मैं करूर में अपने प्रिय भाइयों और बहनों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं अस्पताल में इलाज करा रहे लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।' 

करूर भगदड़ ने राजनीतिक रैलियों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। यह घटना न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।