तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने घोषणा की है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले को दोबारा खोला जाएगा। इस मामले में 2016 में देशभर में जातिगत भेदभाव के ख़िलाफ़ ग़ुस्से और प्रदर्शनों की लहर उठी थी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने तेलंगाना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें इस मामले की दोबारा जाँच के लिए निर्देश मांगे गए हैं। उन्होंने यह भी वादा किया कि इस मामले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

दलित के रूप में पहचाने जाने वाले रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र थे। 17 जनवरी 2016 को उन्होंने विश्वविद्यालय के हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। उनकी मौत के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठा। रोहित अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन यानी एएसए के सक्रिय सदस्य थे। यह संगठन दलितों और अन्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाता था।
ताज़ा ख़बरें
रोहित और उनके चार साथियों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने जुलाई 2015 में उनके मासिक वजीफे को रोक दिया था और बाद में अगस्त 2015 में उनके ख़िलाफ़ जाँच शुरू की गई। यह जाँच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के एक नेता एन. सुशील कुमार के साथ कथित झड़प के बाद शुरू हुई थी। रोहित और उनके साथियों पर एबीवीपी नेता पर हमले का आरोप लगा था। इन आरोपों को उन्होंने खारिज कर दिया था। सितंबर 2015 में विश्वविद्यालय ने रोहित और चार अन्य छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने विरोध में भूख हड़ताल शुरू की। रोहित ने अपनी आत्महत्या से पहले एक मार्मिक नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने लिखा, 'मेरा जन्म ही मेरा घातक हादसा था।' इस नोट में उन्होंने किसी को भी सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया, लेकिन उनकी मौत को 'संस्थागत हत्या' करार दिया गया।

रोहित मामले में क़ानूनी कार्रवाई

रोहित की मृत्यु के बाद उनके दोस्तों और समर्थकों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन और कुछ राजनेताओं ने उन्हें और उनके साथियों को निशाना बनाया। इसके बाद हैदराबाद पुलिस ने तत्कालीन कुलपति अप्पा राव पोदिले, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय, तत्कालीन बीजेपी एमएलसी एन. रामचंदर राव और तीन छात्रों कृष्ण चैतन्य, एन. सुशील कुमार और एन. दीवाकर के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने यानी आईपीसी की धारा 306 और अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया।

मई 2024 में तेलंगाना पुलिस ने इस मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि रोहित वेमुला दलित नहीं, बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग से थे और उनकी आत्महत्या का कारण उनकी वास्तविक जाति के उजागर होने का डर था।

इस क्लोजर रिपोर्ट ने रोहित के परिवार और समर्थकों में भारी नाराज़गी पैदा की। रोहित के भाई, राजा वेमुला ने इसे 'झूठ से भरा' और 'हास्यास्पद' बताया और कहा कि उनकी जाति की स्थिति का फ़ैसला जिला कलेक्टर को करना चाहिए, न कि पुलिस को।

तेलंगाना सरकार का ताज़ा क़दम

उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने 11 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी एआईसीसी कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इस मामले को दोबारा खोलने की घोषणा की। उन्होंने कहा, 'हमने हाई कोर्ट में एक नोट दायर किया है, जिसमें इस मामले की दोबारा जांच के लिए निर्देश मांगे गए हैं। हम इस मामले में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ेंगे।' यह बयान तब आया जब बीजेपी ने हाल ही में एन. रामचंदर राव को तेलंगाना बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया, जो इस मामले में आरोपियों में से एक थे।

विक्रमार्का ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह नियुक्ति दिखाती है कि बीजेपी दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ जाने वालों को पुरस्कृत करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि रामचंदर राव ने अपने समर्थकों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव डाला था, जिसके कारण रोहित और उनके साथियों को हॉस्टल से निष्कासित किया गया और उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई। उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय ने भी विश्वविद्यालय पर दबाव बनाया था।
तेलंगाना से और खबरें

रोहित वेमुला एक्ट की योजना

विक्रमार्का ने यह भी घोषणा की कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आह्वान पर तेलंगाना सरकार 'रोहित वेमुला एक्ट' नामक एक कानून लाने की तैयारी कर रही है। यह क़ानून उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव को रोकने और दलित, आदिवासी, और अन्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों के छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए होगा। उन्होंने कहा, 'हम इस कानून को कानूनी विभाग को सौंप चुके हैं, ताकि इसे ठोस और कानूनी चुनौतियों से मुक्त बनाया जा सके।'

उपमुख्यमंत्री खुद हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्होंने रोहित की आत्महत्या को 'संस्थागत हत्या' क़रार दिया। उन्होंने कहा, 'एक युवा, जो पीएचडी तक पहुंचा, जिसके पास रंगीन सपने थे, उसे इतना मजबूर किया गया कि उसने अपनी जान ले ली। हमें सोचना चाहिए कि ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं।' 

उपमुख्यमंत्री ने रोहित के आत्महत्या नोट का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि दलित छात्रों को दाखिला देते समय एक रस्सी भी दी जानी चाहिए, ताकि वे अपनी जान ले सकें। इस बयान ने पूरे देश को झकझोर दिया था।

परिवार और समर्थकों की प्रतिक्रिया

रोहित के परिवार ने 2024 में दायर क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने की बात कही थी। रोहित की मां राधिका वेमुला ने कहा कि वह दलित माला समुदाय से हैं, जबकि रोहित के पिता मणिकुमार वड्डेरा (ओबीसी) समुदाय से थे। उन्होंने दावा किया कि उनके पति ने उनकी दलित पहचान के कारण उन्हें और उनके बच्चों को छोड़ दिया था। परिवार ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से मुलाकात की और इस मामले में न्याय की मांग की। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले की दोबारा जांच होगी।

रोहित के भाई राजा वेमुला ने कहा, 'पुलिस का काम यह जाँचना था कि मेरे भाई को इतना परेशान क्यों किया गया कि उसने अपनी जान ले ली। उनकी जाति का फैसला पुलिस नहीं कर सकती।' उन्होंने तेलंगाना सरकार से इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की उम्मीद जताई।
सर्वाधिक पढ़ी गयी ख़बरें

विवादास्पद क्लोजर रिपोर्ट

मई 2024 में तेलंगाना पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि रोहित दलित नहीं थे और उनकी आत्महत्या का कारण उनकी जाति के उजागर होने का डर था। इस रिपोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिसमें तत्कालीन कुलपति, बीजेपी नेता और एबीवीपी के सदस्य शामिल थे। इसने देशभर में आक्रोश पैदा किया और छात्रों ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए। तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक रवि गुप्ता ने बाद में कहा कि रोहित की मां और अन्य लोगों द्वारा उठाए गए सवालों के कारण इस मामले की दोबारा जांच की जाएगी।

बीजेपी पर आरोप

विक्रमार्का ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला और कहा कि रोहित की मृत्यु के लिए जिम्मेदार लोगों को पुरस्कृत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बंडारू दत्तात्रेय को राज्यपाल बनाया गया, रामचंदर राव को तेलंगाना बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और एबीवीपी नेता सुशील कुमार को दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर बनाया गया। उन्होंने कहा, 'यह दिखाता है कि बीजेपी दलितों और आदिवासियों के खिलाफ काम करने वालों को बढ़ावा देती है।' उन्होंने बीजेपी से इस नियुक्ति पर पुनर्विचार करने और देश से माफी मांगने की मांग की।

तेलंगाना सरकार की इस याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा। रोहित वेमुला की मृत्यु ने न केवल जातिगत भेदभाव के मुद्दे को उजागर किया, बल्कि उच्च शिक्षा में हाशिए पर रहने वाले समुदायों की सुरक्षा के लिए कानूनी और नीतिगत बदलावों की जरूरत को भी रेखांकित किया। प्रस्तावित 'रोहित वेमुला एक्ट' इस दिशा में एक अहम क़दम हो सकता है।