बीजेपी, कांग्रेस का कोई भी नेता धार्मिक अनुष्ठान करवाने में केसीआर का मुक़ाबला करता नहीं दिख रहा है। केसीआर लोगों के सामने धार्मिक यज्ञ करवाते हैं।
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बीजेपी का कोई भी मुख्यमंत्री धार्मिक अनुष्ठान करवाने में केसीआर का मुक़ाबला करते हुए भी नज़र नहीं आ रहा है। यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवाधारी योगी आदित्यनाथ भी इस मामले में उनसे कहीं पीछे हैं। बड़ी बात तो यह है कि केसीआर के धार्मिक अनुष्ठान और कार्य कोई रहस्य नहीं हैं। वे लोगों के सामने अपने धार्मिक अनुष्ठान करवाते हैं।
मुख्यमंत्री बनने से पहले भी केसीआर ने कई धार्मिक यात्राएँ कीं और कई अनुष्ठान करवाए पर वे कभी चर्चा का विषय नहीं बने। लेकिन 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद 'धर्म-कर्म' से जुड़े उनके सभी कार्य चर्चा का विषय रहे हैं।
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दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी केसीआर ने राज श्यामल यज्ञ और चंडी यज्ञ करवाया। इस बार भी कई राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों ने इस यज्ञ में हिस्सा लिया। इस बार भी यही कहा गया कि केसीआर ने तेलंगाना के विकास और जनता की भलाई के लिए यज्ञ करवाया है।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर रही कि केसीआर ने प्रधानमंत्री बनने के लिए ही यज्ञ करवाए। अभी यह चर्चा ख़त्म भी नहीं हुई थी कि केसीआर ने एक और बड़े महायज्ञ के आयोजन की घोषणा कर दी।
केसीआर ने एलान किया है कि यादगिरीगुट्टा में लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण पूरा होते ही वे सहस्राष्टक कुंड यज्ञ करवाएँगे। यानी, एक साथ 11 दिनों तक 1008 कुंडों में यज्ञ होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद केसीआर ने यादगिरीगुट्टा का नाम बदलकर यादादरी किया और साथ ही लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का पुनरुद्धार शुरू करवाया।
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मुख्यमंत्री होकर साधुओं को 'साष्टांग प्रणाम' करने को लेकर भी केसीआर की आलोचना हुई है। वे वैष्णव साधु चिन्न जीयर स्वामी, विशाखा शारदा पीठ के स्वामी स्वरूपानंद, स्वामी परिपूर्णानंद का लोगों के समक्ष आशीर्वाद ले चुके हैं। बहरहाल, इन आलोचनाओं से बेपरवाह केसीआर धार्मिक अनुष्ठानों के मामले में सभी राजनेताओं से काफ़ी आगे हैं।
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