कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना भी नफ़रती भाषण के ख़िलाफ़ क़ानून लाने की तैयारी में है। ऐसे में बीजेपी का रुख क्या होगा? पढ़िए, कर्नाटक में बीजेपी ने क्या किया।
तेलंगाना में भी कर्नाटक की तरह नफरती भाषण के खिलाफ क़ानून आएगा। राज्य के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जल्द ही नफरती भाषण को रोकने के लिए कानून लाएगी। ये ऐलान राज्य सरकार द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में किया गया। रेवंत रेड्डी ने पड़ोसी राज्य कर्नाटक का भी उदाहरण दिया, जहां कांग्रेस की सरकार ने हाल ही में ऐसा ही एक कानून पास किया है।
रेवंत रेड्डी ने जोर देकर कहा कि राज्य में सभी धर्मों को बराबर सम्मान मिलेगा और किसी भी धर्म के खिलाफ अपमानजनक बातें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। ये कानून बजट सत्र में पेश किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलंगाना में सभी धर्मों के लोग स्वतंत्रता से अपनी आस्था मान सकते हैं, लेकिन दूसरों के धर्म का अपमान करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
कर्नाटक के बिल में क्या प्रावधान?
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कुछ दिन पहले 'हेट स्पीच एंड हेट क्राइम्स प्रिवेंशन बिल, 2025' पास किया है। ये भारत का पहला ऐसा राज्य का कानून है जो नफरती भाषण और इससे जुड़े अपराधों पर सख्त सजा देता है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने विधानसभा में ये बिल पेश करते हुए कहा कि समाज में ऐसी बातें बढ़ रही हैं जो सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाती हैं। ये बातें हिंसा, हत्याएं और झगड़े पैदा कर सकती हैं। इसलिए कानून की जरूरत है।
इस बिल में नफरती भाषण के लिए 7 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। दोबारा अपराध करने पर सजा और बढ़ सकती है। पीड़ितों को मुआवजा भी मिलेगा। सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ऐसी सामग्री हटवा सकती है।बिल का मक़सद क्या है?
कर्नाटक का यह बिल समाज में नफरत, दुश्मनी या दुर्भावना बढ़ाने वाले भाषण और अपराधों को रोकना और सजा देना चाहता है। इसे बोलकर, लिखकर, छापकर, तस्वीर दिखाकर या ऑनलाइन तरीक़े से फैलाई जाने वाली नफरत को रोकने के लिए लाया गया है।
कर्नाटक का यह कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 के साथ पुराने कानूनों के साथ चलेगा और यह उन्हें कमजोर नहीं करेगा। तेलंगाना में भी कुछ ऐसा ही प्रावधान हो सकता है।
बीजेपी का विरोध क्यों?
कर्नाटक में विपक्षी बीजेपी ने इस बिल का जोरदार विरोध किया। विधानसभा में हंगामा हुआ और बीजेपी विधायकों ने प्रदर्शन किया। कर्नाटक के विपक्ष नेता आर अशोक ने कहा कि ये कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने पूछा कि आजादी के 75 साल बाद ऐसी कानून की क्या जरूरत है? उनका आरोप है कि इस कानून का दुरुपयोग करके लोगों को निशाना बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें जमानत का प्रावधान नहीं है और पत्रकारों को भी जेल हो सकती है।तेलंगाना में क्या बिल पास हो पाएगा?
तेलंगाना में भी कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कर्नाटक के कानून को देखते हुए यहां भी ऐसा ही बिल आने की संभावना है। कर्नाटक की तरह तेलंगाना में भी विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत है और वह ऐसे किसी विधेयक को आसानी से पास करा सकती है। रेवंत रेड्डी ने क्रिसमस समारोह में ईसाई समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि दिसंबर महीना चमत्कारों का है। उन्होंने मिशनरियों की शिक्षा के क्षेत्र में योगदान की तारीफ की और कहा कि सरकार सभी धर्मों के लिए बराबर काम करेगी।
ये ऐलान ऐसे समय में आया है जब देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की बात हो रही है। कई लोग इसे अच्छा कदम बता रहे हैं, तो कुछ को डर है कि ऐसे कानून का गलत इस्तेमाल हो सकता है।