loader

बीजेपी शासित त्रिपुरा में पिछले डेढ़ साल में पत्रकारों पर हुए 24 हमले 

देश के कई राज्यों में पत्रकारों पर हमले की घटनाएं सामने आती रहती हैं। त्रिपुरा में भी पत्रकारों पर हमलों की बाढ़ आ गई है और 2020 से अब तक यानी डेढ़ साल में पत्रकारों पर हमले के 24 मुक़दमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक़, इनमें से 16 मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है और 5 मामलों में जांच चल रही है। जबकि तीन मामलों में समझौता हो जाने के बाद उन्हें बंद कर दिया गया। इनमें से 17 मामले 2020 के हैं जबकि 7 मामले 2021 के हैं।

हालांकि पत्रकार सम्राट चौधरी का कहना है कि इन मामलों की संख्या 28 से ज़्यादा है और इनमें से कई मामलों में किसी तरह की क़ानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। 

ताज़ा ख़बरें

पत्रकारों पर हमले की घटनाओं को लेकर असिस्टेंट जनरल पुलिस (क़ानून एवं व्यवस्था) सुब्रत चक्रवर्ती ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि पुलिस मीडिया कर्मियों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हालांकि मीडिया कर्मियों के लिए अलग से कोई क़ानून नहीं है इसलिए हम ऐसे मामलों में तय प्रक्रिया का पालन कर कार्रवाई करते हैं। 

चक्रवर्ती ने कहा कि हम साक्ष्यों के आधार पर इन मामलों की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में जहां शिकायकर्ता हमलावरों की पहचान नहीं कर सके लेकिन बावजूद इसके पुलिस उन्हें पहचानने की पूरी कोशिश कर रही है। 

राज्य के डीजीपी वीएस यादव ने इसे लेकर बीते शनिवार को जिलों के पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक की और उनसे पूरी जानकारी ली। उन्होंने पत्रकारों पर हुए हमले को लेकर हमलावरों के ख़िलाफ़ पुलिस  की कार्रवाई पर भी चर्चा की। 

त्रिपुरा से और ख़बरें

सीएम को ठहराया जिम्मेदार

पत्रकार सम्राट चौधरी कहते हैं कि अधिकतर हमले मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के पिछले साल वाले उस बयान के बाद हुए जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कोरोना को लेकर की गई गुमराह करने वाली रिपोर्टिंग पर मीडिया के एक वर्ग को माफ़ नहीं करेंगे। 

विपक्ष भी हमलावर

राज्य के विपक्षी दल सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने पत्रकारों पर हमले के लिए बीजेपी-आईपीएफ़टी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष तापस डे कहते हैं कि वामदलों के शासन में भी पत्रकारों पर हमले हुए थे लेकिन मुख्यमंत्री के पिछले साल आए बयान के बाद ऐसी घटनाएं बहुत ज़्यादा बढ़ गई हैं। जबकि बीजेपी ने कहा है कि वामदलों के शासन में पत्रकारों पर हमले की ज़्यादा घटनाएं हुईं। 

पिछले कुछ सालों में पत्रकारों पर हमलों की वारदात बढ़ी हैं। 2014-19 के दौरान पत्रकारों पर देश भर में 198 हमले हुए, 2019 में ही 36 पत्रकारों पर हमले किए गए। 2010 से अब तक कामकाज की वजह से निशाने पर लिए जाने के कारण 30 पत्रकार मारे गए हैं।

इसके अलावा कई राज्यों में पत्रकारों पर राजद्रोह के मुक़दमे भी लादे गए हैं। हाल ही में ऐसे ही एक मुक़दमे में सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के ख़िलाफ़ हिमाचल प्रदेश में दर्ज राजद्रोह की एफ़आईआर को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि ऐसे मामलों में सुरक्षा के लिए हर पत्रकार हकदार है। 

उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं और इनमें कई की जान जा चुकी है। 

भारत में सत्ता प्रतिष्ठान पर उंगली उठाने वाले पत्रकार लगातार सरकार और सत्तारूढ़ दल के निशाने पर हैं। पिछले साल यानी 2020 में 67 पत्रकारों को उनके कामकाज की वजह से गिरफ़्तार किया गया या उन्हें हिरासत में लिया गया और उनसे पूछताछ की गई।
पत्रकार गीता शेशु की रिपोर्ट 'सलाखों के पीछे : 2010-20 में पत्रकारों की गिरफ़्तारी और हिरासत' में इसका खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की सामान्य धाराओं के अलावा आतंकवाद निरोध धाराएं, अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेन्शन एक्ट (यूएपीए) और राजद्रोह की धाराएं भी लगाई गई हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

त्रिपुरा से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें