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बंगाल के बाद त्रिपुरा पर है ममता की नज़र, जड़ें जमाने में जुटी टीएमसी

पश्चिम बंगाल के सियासी किले को महफ़ूज रखने में कामयाब रहीं ममता बनर्जी टीएमसी के सियासी विस्तार को लेकर आतुर दिखाई देती हैं। बीजेपी के ख़िलाफ़ मज़बूत फ्रंट की खुलकर वकालत करने वालीं ममता जानती हैं कि ऐसे फ़्रंट का नेतृत्व अगर करना है तो सिर्फ़ बंगाल जीतने से काम नहीं चलेगा। इसलिए उनकी नज़र अब त्रिपुरा पर जाकर टिक गई है। 

ममता की कोशिश बंगाल के बाहर भी पार्टी का मजबूत कैडर खड़ा करने की है और इसके संकेत वह बीते दिनों में कई बार दे चुकी हैं। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद टीएमसी ने एलान भी किया था कि वह बंगाल के बाहर भी अपना विस्तार करेगी। 

टीएमसी ने फ़रवरी, 2023 में होने वाले त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी ने एक राज्य स्तरीय कमेटी बनाई है और सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी त्रिपुरा के दौरे पर जा रहे हैं। 

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बुधवार को टीएमसी को बड़ी सफलता तब मिली थी जब सुबल भौमिक, प्रकाश दास, मोहम्मद इदरीश मियां, तपन दत्ता, पन्ना देब जैसे अहम नेता टीएमसी में शामिल हो गए थे। 

पीके के लोग हाउस अरेस्ट 

यहां याद दिलाना होगा कि बीते बुधवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम के 23 लोगों को एक होटल में हाउस अरेस्ट कर दिया गया था। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के दौरे पर पहुंचे टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि ऐसा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर किया गया। ममता ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान पत्रकारों से इस बात को कहा भी था। 

टीएमसी के एक नेता ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि टीएमसी ने अगले विधानसभा चुनाव को लड़ने की तैयारी कर ली है और प्रशांत किशोर की टीम त्रिपुरा में भी चुनावी सर्वे कर रही है। 

ममता के दिल्ली दौरे पर देखिए चर्चा-

मुकुल राय को सौंपा जिम्मा

पश्चिम बंगाल की ही तरह त्रिपुरा में भी बीजेपी के असंतुष्टों को टीएमसी में लाने का काम मुकुल राय को सौंपा गया है। मुकुल राय पहले भी पूर्वोत्तर में टीएमसी की जड़ें जमाने का काम कर चुके हैं। मुकुल राय ही 2016 में त्रिपुरा में कांग्रेस के 6 विधायकों को तोड़कर टीएमसी में लाए थे और बाद में इन्हें बीजेपी में ले गए थे। मुकुल राय टीएमसी में वापसी के बाद त्रिपुरा में टीएमसी को मज़बूत करने के काम में जुट गए हैं। 

TMC in Tripura assembly election 2023 - Satya Hindi

बीजेपी में सब ठीक नहीं 

दूसरी ओर बीजेपी के अंदर भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। त्रिपुरा बीजेपी के अंदर कुछ नेता नाराज़ हैं और इन पर टीएमसी की पैनी नज़र है। मुख्यमंत्री बिप्लब देव से नाराज़ पार्टी के कुछ विधायक पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली आए थे और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से मिले थे। 

विधायकों की नाराज़गी की ख़बरों के बाद बीते महीने यानी जून में बीएल संतोष आनन-फ़ानन में अगरतला पहुंचे थे और यहां उन्होंने विधायकों को मनाने की कोशिश की थी। ये कहा जाता है कि पार्टी हाईकमान बिप्लब देव के साथ मज़बूती से खड़ा है। 

TMC in Tripura assembly election 2023 - Satya Hindi

त्रिपुरा की सत्ता में बीजेपी का इंडिजनस पीपल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) के साथ गठबंधन है और दोनों ने मिलकर विधानसभा चुनाव 2018 में 44 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें बीजेपी को 36 और आईपीएफ़टी को 8 सीट मिली थीं। त्रिपुरा में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं। 

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लेकिन बीजेपी के बाग़ी गुट का कहना है कि उसके पास 25 विधायकों का समर्थन है। इन नेताओं में से ज़्यादातर नेता ऐसे हैं, जो 2018 में पार्टी में शामिल हुए हैं और कांग्रेस या टीएमसी से आए हैं। 
21 जुलाई को शहीद दिवस वाले दिन ममता के भाषण का प्रसारण विशालकाय स्क्रीनों के जरिये दिल्ली, पंजाब, गुजरात, असम, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के साथ ही त्रिपुरा में भी किया गया था।

शामिल हो रहे लोग

टीएमसी की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष आशीष लाल सिंह ने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ से कहा कि ममता बनर्जी के समर्थक पूरे त्रिपुरा में हैं और हम लोगों ने बीते कुछ सालों में राज्य के अंदर मज़बूत संगठन खड़ा कर लिया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में मिली जीत के बाद त्रिपुरा के लोग विकल्प के तौर पर टीएमसी की ओर देख रहे हैं और हर दिन बड़ी संख्या में लोग पार्टी में शामिल हो रहे हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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