यूपी के बरेली में पुलिस ने दो प्रमुख आरोपियों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। ये आरोपी मौलाना तौकीर रजा खान के करीबी सहयोगी बताए जा रहे हैं। गिरफ्तार आरोपियों में मोहम्मद इदरीस उर्फ बोरा (50 वर्ष) और इकबाल उर्फ खान (48 वर्ष) शामिल हैं, जो शाहजहांपुर के निवासी हैं। मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने चोरी की एक एंटी-रायट बंदूक, दो देशी पिस्तौलें, तीन जिंदा कारतूस, दो खाली कारतूस, एक बाइक और मोबाइल फोन जब्त किए हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया था कि बरेली के मौलाना को ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि दंगा करने वालों की अगली सात पीढ़ियां याद रखेंगी।
बरेली में घटना की शुरुआत 26 सितंबर को हुई। मौलाना आई लव मुहम्मद के सिलसिले में शहर के मुस्लिमों से प्रदर्शन का आह्वान तिया था। प्रशासन ने मुस्लिमों को जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। मौलाना ने भी प्रदर्शन का आह्वान वापस ले लिया। लेकिन जुमे की नमाज़ के बाद बरेली में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। पुलिस का दावा है कि इस दौरान आरोपियों ने एक कांस्टेबल की एंटी-रायट हथियार छीन लिया और पुलिस पर गोलीबारी की। इसके बाद से पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। बुधवार सुबह फतेहगंज पश्चिमी क्षेत्र के एक नहर इलाके में स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) और सीबीगंज थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने इलाके को घेर लिया। जैसे ही टीम ने आरोपियों को घेरा, इदरीस और इकबाल ने भागने की कोशिश में पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों के पैरों में गोली लग गई, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

मौलाना के करीबी पुराने हिस्ट्रीशीटर हैंः एसएसपी

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि दोनों आरोपी तौकीर रजा खान के करीबी हैं और 'आई लव मुहम्मद' अभियान के दौरान हिंसा भड़काने में उनकी अहम भूमिका थी। इदरीस के खिलाफ 20 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, जबकि इकबाल के खिलाफ 17 मामले हैं, जिनमें लूट और आर्म्स एक्ट के उल्लंघन शामिल हैं। एसएसपी आर्य ने कहा, "बरेली को आग लगाने की कोशिश करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हमारी कार्रवाई जारी रहेगी।"
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पुलिस ने इस एनकाउंटर के अलावा मौलाना के दामाद मोहसिन को गिरफ्तार किया है। उनके घर के कुछ हिस्से को बुलडोज़र से गिराया गया। कई अन्य आरोपियों पर भी इस तरह की कार्रवाई हो रही है। 
इससे पहले मंगलवार को एक अन्य प्रमुख आरोपी ताजिम को भी गिरफ्तार किया गया था। ताजिम एक कुख्यात गो-तस्कर है और उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर चुकी है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के दौरान भी उसकी गोलीबारी का सामना किया था। शहर पुलिस अधीक्षक (एसपी सिटी) मनुश पारेख ने बताया, "इस मामले में अब तक 72 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ताजिम की संलिप्तता की सूचना मिली थी, जो गो-तस्करी में माहिर है। गिरफ्तारी के प्रयास में उसने पुलिस पर फायरिंग की।"
'आई लव मुहम्मद' अभियान को लेकर बरेली में हुई हिंसा ने पूरे इलाके को हिला दिया था। प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, वाहनों को आग लगाई और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। पुलिस का दावा है कि ये आरोपी जानबूझकर अशांति फैलाने की साजिश रच रहे थे। दोनों घायल आरोपियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि जब्त हथियारों की जांच की जा रही है।
आई लव मुहम्मद कैंपेन की शुरुआत बहुत मामूली घटना से हुई। कानपुर में बारावफात के मौके पर मुस्लिमों ने एक बैनर लगाया, जिस पर लिखा था- आई लव मुहम्मद। बैनर पर आपत्ति जताते हुए हिन्दू संगठनों ने पुलिस में शिकायत की कि यह नई परंपरा है। इसे रोका जाए। इसके बाद उस पोस्टर को फाड़ दिया गया। जवाब में हिन्दू संगठनों के धार्मिक पोस्टर भी फाड़ दिए गए। हिन्दू संगठनों की रिपोर्ट पर पुलिस ने मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया। सोशल मीडिया पर जब इस घटना के बारे में लोगों ने लिखा तो मामला बुरी तरह उछल गया। पूरे देश में प्रतिक्रिया होने लगी। इसके बाद देश के प्रमुख शहरों में आई लव मुहम्मद अभियान शुरू हो गया। कुछ स्थानों पर पुलिस ने इसे रोकने की कोशिश की लेकिन यह बढ़ता ही गया। बरेली में हुई घटना भी इसी सिलसिले की कड़ी थी।
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पुलिस अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार की उकसावे वाली गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बरेली में शांति बहाल करने के लिए पुलिस की टीमें सतर्क मोड पर हैं। यह घटना उत्तर प्रदेश में धार्मिक संवेदनशीलता के मुद्दों पर एक बार फिर बहस छेड़ने वाली है।