SIR Controversy: अखिलेश यादव ने दावा किया कि जहाँ भी बीजेपी हारी, वहाँ 50 हजार से अधिक वोट काटने की साजिश रची जा रही है। क्या यह चुनावी धांधली का आरोप है या राजनीतिक रणनीति?
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि यूपी में एसआईआर के नाम पर बड़ी साज़िश चल रही है। उन्होंने चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि दोनों मिलकर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर का दुरुपयोग कर विधानसभा क्षेत्रों से 50 हजार से अधिक वोट काटने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि खास तौर पर उन विधानसभा क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है जहाँ 2024 लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने जीत हासिल की थी।
अखिलेश यादव ने कन्नौज में पत्रकारों से कहा, 'इस बार लाखों शादिया हैं और उसी समय चुनाव आयोग एसआईआर करा रहा है। रिवीजन न बोलें उसको, ये मानकर चलिए कि वोटर लिस्ट नयी बन रही है। नयी इसलिए बना रहे हैं क्योंकि 2024 में ये लोग हार गये थे। 2024 की हार को जीत में बदलने के लिए जहाँ जहाँ समाजवादी पार्टी जीती है वहाँ पर 50 हज़ार वोट कम करने जा रहे हैं ये लोग। ये यूपी की स्थिति है और ऐसा ही वो बंगाल में करने जा रहे हैं। वहाँ तो ममता जी की सरकार है वो रोक लेंगी और वह लड़ रही हैं, लेकिन यहाँ सरकार हमारी नहीं है।'
'SIR का बिहार मॉडल अपना रहे'
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि वोट काटने के लिए बिहार वाला मॉडल अपनाया गया है कि विपक्ष की जीती हुई सीटों पर वोट ज़्यादा कटवा दो। अखिलेश ने आगे कहा कि बिहार चुनाव के बाद अखबारों, सोशल मीडिया और अन्य सूत्रों से पता चल रहा है कि भाजपा चुनाव आयोग के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि वोट काटने के लिए एसआईआर को बहाना बनाया जा रहा है।
अखिलेश ने लोगों से अपील की कि वे सतर्क रहें और मतदाता सूची में अपना नाम जरूर चेक करें। उन्होंने कहा, 'उत्तर प्रदेश में यह हो रहा है और पश्चिम बंगाल में तैयारी चल रही है। हम पूरी तरह सतर्क हैं। जनता से अपील है कि अपनी वोटर लिस्ट जरूर चेक करें, कोई गलत तरीके से नाम न कटने पाए।'चुनाव आयोग का SIR अभियान
चुनाव आयोग 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर कर रहा है। इनमें अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 7 फरवरी 2026 को होगा।उत्तर प्रदेश से और ख़बरें
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने अखिलेश के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, 'राजस्थान में कोई चुनाव नहीं है, फिर भी वहां एसआईआर चल रहा है। कई ऐसे राज्य हैं जहां चुनाव नहीं होने वाले हैं, फिर भी एसआईआर हो रहा है। ये लोग इसलिए चिल्ला रहे हैं क्योंकि जिन लोगों के नाम कट रहे हैं, वे इनका वोट बैंक हैं। अब इन्हें लग रहा है कि इनकी राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी।'
बिहार का उदाहरण देते हुए भाटिया ने कहा, 'यही बात तेजस्वी यादव ने 6 महीने पहले कही थी, नतीजा– 25 सीटों पर सिमट गए। अब ममता बनर्जी और अखिलेश यादव वही बात दोहरा रहे हैं। ये लोग 25 से भी कम पर सिमट जाएंगे।'
बंगाल में TMC भी हरकत में
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है। पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने 24 नवंबर को एसआईआर से जुड़े सभी मुद्दों पर बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में हर बूथ स्तर पर निगरानी और कोई भी नाम गलत तरीके से न कटे, इसके लिए रणनीति बनाई जाएगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 25 नवंबर को उत्तर 24 परगना के बोंगांव में मतुआ समुदाय के लोगों से मुलाकात करेंगी। आरोप लगाया जा रहा है कि एसआईआर के ज़रिए मतुआ बाहुल्य इलाकों में वोटर लिस्ट से नाम काटने की कोशिश हो रही है।यूपी-बंगाल में राजनीति गरमायी
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सियासी पारा एकदम चढ़ गया है। समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं को हर बूथ पर सक्रिय कर दिया है, जबकि भाजपा इसे 'वोट बैंक की राजनीति की बौखलाहट' बता रही है।
अब सबकी नज़र इस बात पर है कि 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में कितने नाम वाकई कटते हैं और क्या यह विवाद 2027 के विधानसभा चुनाव तक खिंचता रहेगा।