इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि व्हाट्सएप संदेश में मौजूद 'अनकही बातें' भी धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे सकते हैं, भले ही संदेश में साफ़-साफ़ धर्म का ज़िक्र न हो। यह फैसला पिछले महीने जस्टिस जे.जे. मुनिर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनाया। इसमें बिजनौर निवासी अफाक अहमद की याचिका को खारिज कर दिया गया। अफाक ने अपने खिलाफ दर्ज एक एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उन पर धार्मिक नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया था। यह एफ़आईआर उनके एक व्हाट्सएप मैसेज को लेकर लगाया गया था।

अफाक ने व्हाट्सएप मैसेज में क्या लिखा था, इसे क्यों लिखा था और अदालत ने इस पर क्या फ़ैसला दिया, यह जानने से पहले यह जान लें कि इस मामले में सबसे ताज़ा क्या कार्रवाई की गई है। बिजनौर पुलिस ने रविवार को अफाक के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के आरोप शामिल हैं। इसके अलावा, अफाक के भाई और चाचा के खिलाफ भी अलग-अलग प्राथमिकियाँ दर्ज की गई हैं।
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विवाद की शुरुआत

यह सिलसिला 19 जुलाई को शुरू हुआ, जब अफाक के भाई आरिफ अहमद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता संदीप कौशिक की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया। कौशिक ने आरिफ पर सार्वजनिक स्थान पर अश्लीलता, शांति भंग करने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कौशिक ने अपनी एफ़आईआर में यह भी दावा किया कि अपने पिता के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक्स और गैस भरने की दुकान चलाने वाला आरिफ 'राष्ट्र-विरोधी और समाज-विरोधी तत्वों' से जुड़ा हुआ है और 'लव जिहाद' में शामिल है। उनके अनुसार, आरिफ हिंदू महिलाओं को प्रलोभन देकर रिलेशनशिप में फँसाता था, उनके लिए फर्जी नामों से पासपोर्ट बनवाता था और उन्हें विदेश में बेचने की योजना बनाता था।

इस एफ़आईआर में बाद में बलात्कार, जहर देने, धोखाधड़ी, जालसाजी और उत्तर प्रदेश ग़ैरक़ानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के तहत गैरकानूनी धर्मांतरण के आरोप जोड़े गए। आरिफ अभी भी जेल में हैं।

अफाक ने क्या कहा?

अफाक ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को 14 अक्टूबर को बताया कि जुलाई 2020 में उनके भाई का एक हिंदू महिला के साथ रिश्ता शुरू हुआ था। उन्होंने कहा, 'मैं इसके बारे में जानता था और मैंने उनसे कहा था कि उन्हें हमारे समुदाय के भीतर ही शादी करनी चाहिए।' अफाक के अनुसार, आरिफ ने उनकी बात मान ली और 2023 में शादी कर ली, जिसके बाद उनकी एक बेटी भी हुई। अफाक ने सोचा कि मामला खत्म हो गया।

अफाक को 19 जुलाई को कुछ स्थानीय लोगों का फोन आया, जिन्होंने उन्हें एक बैठक में बुलाया, जिसमें सभी समुदायों के लोग मौजूद थे। वहां उन्हें बताया गया कि उनके भाई ने एक हिंदू महिला का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की और उसे दुबई ले जाने की योजना बनाई थी।

व्हाट्सएप संदेश और विवाद

अफाक के खिलाफ एक व्हाट्सएप संदेश के आधार पर 30 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गई, जो उन्होंने दो लोगों को भेजा था। अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, यह प्राथमिकी एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर ने दर्ज की थी, जो संदेश के कथित प्राप्तकर्ता द्वारा लिए गए स्क्रीनशॉट पर आधारित थी।

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार संदेश में अफाक ने कथित तौर पर कहा था कि उनके भाई को 'पुलिस पर राजनीतिक दबाव डालकर झूठे मामले में फंसाया गया है' और 'उनके परिवार की आजीविका का पूर्ण बहिष्कार करने का आह्वान किया गया है।' उन्होंने यह भी आशंका जताई थी कि उनकी लिंचिंग हो सकती है। संदेश में अफाक ने बार-बार देश के कानूनी तंत्र में विश्वास जताया और कहा कि 'अदालत झूठ को उजागर करेगी।' अफाक के वकील सैयद शाहनवाज शाह ने तर्क दिया कि संदेश केवल उनके मुवक्किल की पीड़ा को व्यक्त करता है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इससे असहमति जताई।
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न्यायालय का फ़ैसला

26 सितंबर को पारित अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि अफाक द्वारा उनके भाई की धर्मांतरण मामले में गिरफ़्तारी के बाद भेजे गये व्हाट्सएप संदेश में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने वाली थी। भले ही संदेश में बार-बार न्यायपालिका में विश्वास जताया गया हो, अदालत ने माना कि संदेश में 'अनकही बातें' थीं, जो यह संकेत देती थीं कि अफाक का भाई एक विशेष धार्मिक समुदाय से होने के कारण निशाना बनाया गया।

न्यायालय ने कहा, 'यह संदेश भले ही साफ़ तौर पर धर्म के बारे में न बोलता हो, लेकिन इसमें एक अंतर्निहित और सूक्ष्म संदेश निश्चित रूप से है, जो यह बताता है कि उनके भाई को एक झूठे मामले में फंसाया गया क्योंकि वह एक विशेष धार्मिक समुदाय से हैं।' इन 'अनकही बातों' को प्रथम दृष्टया धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना गया और अदालत ने पुलिस को अफाक के खिलाफ जांच जारी रखने की अनुमति दी।
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चाचा के खिलाफ भी प्राथमिकी

कौशिक ने 4 अगस्त को एक और एफआईआर दर्ज कराई। इस बार आरिफ के चाचा सादिक के खिलाफ, जिन्होंने कथित तौर पर एक स्थानीय मीडिया चैनल को बताया था कि उनके भतीजे को फंसाया गया है। इस प्राथमिकी में सादिक पर दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया।

जब कौशिक से पूछा गया कि उन्होंने पहली शिकायत क्यों दर्ज कराई, तो उन्होंने 15 अक्टूबर को 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि प्रभावित महिला का परिवार 'डरा हुआ' था, और उन्होंने 'समाज के जिम्मेदार सदस्य' के रूप में उनकी मदद की। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार स्टेशन हाउस ऑफिसर अमित कुमार, सर्कल ऑफिसर देश दीपक सिंह और पुलिस अधीक्षक (शहर), बिजनौर, डॉ. कृष्ण गोपाल सिंह ने टिप्पणी के लिए बार-बार किए गए फोन कॉल और संदेशों का जवाब नहीं दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार को बताया कि इस मामले में जांच लगभग पूरी हो चुकी है, और पुलिस जल्द ही एक चार्जशीट दाखिल करेगी।