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‘टेनी ने किसानों को नहीं धमकाया होता तो शायद हिंसा नहीं होती’

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने किसानों को नहीं धमकाया होता तो शायद लखीमपुर खीरी में हिंसा की घटना नहीं होती। यह कहते हुए अदालत ने इस हिंसा के 4 अभियुक्तों को जमानत देने से इनकार कर दिया। 

लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट भी लगातार तल्ख टिप्पणियां करता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने में इस मामले में मुख्य अभियुक्त और अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर दी थी।

आशीष मिश्रा को बीते साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था लेकिन फरवरी में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उन्हें जमानत दे दी थी। उनकी जमानत के खिलाफ लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित परिवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। 

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा, “ऊंचे पदों पर बैठे हुए राजनीतिक व्यक्तियों को जनता के बीच अपने बयान सभ्य भाषा में देने चाहिए और इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि समाज में इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं। उन्हें ऐसे बयान नहीं देने चाहिए क्योंकि जिस पद पर वह बैठे हैं उनके लिए उसकी गरिमा के मुताबिक ही आचरण करना जरूरी होता है।” 

अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि जब उस इलाके में धारा 144 लगी थी तो ऐसे में कुश्ती का आयोजन क्यों कराया गया और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य वहां मुख्य अतिथि के रूप में क्यों गए।

अदालत ने अपनी टिप्पणी में इस बात पर जोर दिया कि जनप्रतिनिधियों को कानून तोड़ने वाला शख्स नहीं बनना चाहिए। अदालत ने कहा कि इस बात पर भरोसा करना मुश्किल है कि उपमुख्यमंत्री को यह नहीं पता होगा कि इस इलाके में धारा 144 लगी है और वहां पर लोगों की भीड़ नहीं जुट सकती।

Allahabad High Court on Lakhimpur Kheri Violence - Satya Hindi

अदालत ने इस मामले में बनी एसआईटी के द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए उसकी तारीफ की।

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत के सामने दलील रखी गई थी कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने किसानों को धमकी दी थी और इससे नाराज किसानों ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। आशीष मिश्रा पर यह आरोप है कि उसने अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शनकारी किसानों को गाड़ी से कुचल दिया था।

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हालांकि अजय मिश्रा टेनी तमाम आरोपों को खारिज करते हुए इस बात का दावा करते हैं कि घटना के दौरान उनका बेटा घटनास्थल पर नहीं था। आशीष मिश्रा भी ऐसा ही दावा कर चुके हैं। 

लखीमपुर खीरी की घटना में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 4 किसान भी थे। किसानों के साथ ही बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा, श्याम सुंदर निषाद और हरि ओम मिश्रा की भीड़ ने जान ले ली थी। एक पत्रकार की भी मौत इस घटना में हुई थी।

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क़मर वहीद नक़वी
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