शासन ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के चलने वाले मदरसों की जांच के लिए आदेश दिया था। सरकार ने भवन, भूमि, किरायानामा, शिक्षकों, छात्रों आदि की मौके पर जांच के लिए कमेटी बनाने को कहा था। इस संबंध में रजिस्ट्रार मदरसा शिक्षा परिषद ने समस्त जिलाधिकारियों को पत्र भेजा था। समझा जाता है कि जांच के बाद जो रिपोर्ट आई उसी के बाद ग्रांट रोकने का फैसला लिया गया। यह आरोप काफी समय से लग रहा है कि बहुत सारे मदरसे अस्तित्व में नहीं हैं लेकिन सरकार से उनके नाम पर ग्रांट ली जा रही है। बहुत सारे मदरसों में फर्जी छात्र-छात्राएं दिखाकर, उनकी फर्जी परीक्षा तक कराने के आरोप लगे हैं। उसका उपाय योगी सरकार ने यह निकाला कि मदरसों की ग्रांट ही रोक दी।
यूपी में करीब 588 मदरसे ऐसे हैं जिनमें 8129 टीचर और 558 प्रिंसिपल हैं। इन पर सरकार हर साल 866 करोड़ रुपये खर्च करती है। लेकिन सरकार के पास इस बात की रिपोर्ट है कि मदरसों में बच्चों की तादाद लगातार घट रही है। सरकार के पास इसकी सूचना है कि चूंकि मदरसों में आधुनिक विषय नहीं पढ़ाए जा रहे हैं तो वहां के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाब नहीं हो पाते। इसलिए योगी सरकार चाहती है कि मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाएं।