उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना के खिलाफ स्थानीय लोग, सेवायत, और व्यापारी सड़कों पर उतर आए हैं। इस परियोजना को लेकर विरोध इतना तीव्र हो गया है कि सेवायतों ने उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा को शनिवार (19 जुलाई) मंदिर में दर्शन करने से रोक दिया। स्थानीय गोस्वामी समुदाय की महिलाओं ने काले पट्टे बांधकर और नारेबाजी करते हुए मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें मंदिर के गेट नंबर 4 से बाहर निकाला गया। इससे पहले 17 जुलाई को बांके बिहारी कॉरिडोर के विरोध में मथुरा की महिलाओं ने खून से पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को लेटर लिखे। महिलाओं ने कहा कि लल्ला (श्रीकृष्ण के लिए स्थानीय नाम) की जगह को नहीं छोड़ेंगे h

कॉरिडोर के पक्ष और विपक्ष में तर्क

उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि यह 500 करोड़ रुपये की परियोजना मंदिर में बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में इस परियोजना को मंजूरी दे दी थी। मंदिर के फंड से 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने का आदेश दिया था। सरकार का कहना है कि यह कॉरिडोर 2022 में मथुरा में एक समागम में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने में मदद करेगा। जिसमें सिर्फ दो भक्तों की मृत्यु हो गई थी। हालांकि, स्थानीय लोग और सेवायत इस परियोजना को वृंदावन की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए खतरा मानते हैं। उनका कहना है कि कॉरिडोर के लिए 250 से अधिक इमारतों को तोड़ा जाएगा, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो जाएंगे और व्यापारियों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।

गोस्वामी समुदाय का कड़ा विरोध

गोस्वामी समुदाय, जो सदियों से बांके बिहारी मंदिर में पूजा-अर्चना और सेवाएं संभालता आया है, इस परियोजना और मंदिर प्रबंधन के लिए बनाए गए नए ट्रस्ट के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों ने न केवल सड़कों पर प्रदर्शन किया, बल्कि कुछ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भेजकर परियोजना को रद्द करने की मांग की है। व्यापारी नेता गोविंद खंडेलवाल ने कहा, "यह केवल मुआवजे का सवाल नहीं है, बल्कि वृंदावन की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बचाने का है।"
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कॉरिडोर के समर्थन में सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस परियोजना को लेकर अडिग हैं। सरकार ने दावा किया है कि कॉरिडोर से बांके बिहारी मंदिर को राधा रमण और मदन मोहन मंदिर जैसे अन्य धार्मिक स्थलों से जोड़ा जाएगा, जिससे तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी। इसके लिए यमुना नदी पर एक सस्पेंशन ब्रिज का भी प्रस्ताव है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परियोजना वृंदावन की संकरी और पवित्र 'कुंज गलियों' को नष्ट कर देगी, जो भगवान कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं से जुड़ी हैं।

वाराणसी त्रासदी को दोहराया जा रहा?

वृंदावन में चल रहा विरोध वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की याद दिलाता है, जहां मंदिर के आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई थी। वहां कई परिवार, दुकानदार, और यहां तक कि छोटे मंदिर भी अभी तक पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। मथुरा में भी यही आशंका जताई जा रही है, क्योंकि कॉरिडोर के लिए 275 परिवारों और 200 दुकानदारों को विस्थापित किया जाना है। स्थानीय निवासी राधा मिश्रा ने कहा, "7 किलोमीटर दूर नया घर देना हमारे किसी काम का नहीं होगा। हमारा मंदिर और हमारी आजीविका यहीं है।"

विपक्ष का समर्थन

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों का समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता अजय राय ने परियोजना को वृंदावन की विरासत को नष्ट करने वाला बताया, जबकि समाजवादी पार्टी के संजय लाठर ने सवाल उठाया कि अगर यह परियोजना इतनी आवश्यक है, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ मंदिर में ऐसी योजना क्यों नहीं लागू की गई? कांग्रेस नेता अजय राय ने यहां का दौरा भी किया।

मथुरा सांसद हेमा मालिनी पर विवाद

मथुरा की सांसद और बीजेपी नेता हेमा मालिनी इस परियोजना की समर्थक रही हैं, लेकिन उनकी एक पुरानी वीडियो, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि विरोध करने वालों को वृंदावन छोड़ना पड़ सकता है, ने विवाद खड़ा कर दिया। हालांकि, हेमा मालिनी ने स्पष्ट किया कि वीडियो पुराना और संपादित था, और सभी के हितों की रक्षा की जाएगी। फिर भी, स्थानीय पुजारी और कुछ बीजेपी नेता उनके बयान से नाराज हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 29 जुलाई को तय की है। तब तक, स्थानीय लोग और सेवायत अपने विरोध को और तेज करने की योजना बना रहे हैं। मथुरा-वृंदावन के निवासियों का कहना है कि वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें सड़कों पर बार-बार उतरना पड़े।  यह विवाद न केवल मथुरा, बल्कि पूरे देश में विकास और धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत के बीच संतुलन के सवाल को उठा रहा है।