बरेली हिंसा मामले पर पुलिस का कहना है कि यह 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर नहीं बल्कि कानून-व्यवस्था का मुद्दा है। आरोपी के बैंक्वेट हॉल पर प्रशासन ने बुलडोज़र क्यों चलाया?
आरोपी के बैंक्वेट हॉल पर बुलोडजर चला (फोटो साभार: एक्स/@Topi1465795)
'आई लव मुहम्मद' विवाद पर यूपी के बरेली में 26 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों के नौ दिन बाद प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की। हिंसा में शामिल एक आरोपी के बैंक्वेट हॉल 'रजा पैलेस' को बरेली डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी बीडीए ने ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों ने इसे अवैध बताते हुए 'रूटीन डेमोलिशन' करार दिया, लेकिन कुछ लोग इसे 'बुलडोजर जस्टिस' का आरोप लगा रहे हैं। कहा जा रहा है कि 'आई लव मुहम्मद' विवाद पर पुलिस कार्रवाई कर रही है, लेकिन पुलिस का कहना है कि 'आई लव मुहम्मद' पोस्टरों को लेकर कोई मुद्दा नहीं है, बल्कि जुमे की नमाज के बाद बड़ी भीड़ द्वारा प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश से कानून-व्यवस्था का मसला हो गया।
बरेली में हिंसा की जड़ 4 सितंबर को कानपुर में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान लगाए गए 'आई लव मुहम्मद' पोस्टरों से जुड़ी है। जुलूस के दौरान हिंदू संगठनों ने इसे 'परंपरा' से चली आ रही प्रथा से अलग कदम बताते हुए आपत्ति जताई। इसके बाद कानपुर पुलिस ने 24 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इस घटना का असर पूरे प्रदेश में हुआ। बरेली के प्रमुख इस्लामी जानकार और इत्तेहाद-ए-मिलात काउंसिल यानी आईएमसी के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान ने इसके लेकर 26 सितंबर को इस्लामिया ग्राउंड पर धरना देने का ऐलान किया।
पुलिस ने अनुमति न मिलने के कारण इस प्रदर्शन को रद्द कर दिया, लेकिन जुमे की नमाज के बाद कोतवाली क्षेत्र के नौमहला मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर थामे प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग किया। इस घटना में 10 एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें 2800 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
पुलिस ने क्या कहा?
बरेली रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल यानी डीआईजी अजय कुमार साहनी ने शनिवार को द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हिंसा का कारण 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर बिल्कुल नहीं थे। लोग मस्जिदों, ईदगाहों या अपने घरों पर ऐसे पोस्टर लगाने के लिए आज़ाद हैं- यह उनकी आस्था का व्यक्तिगत मामला है।" साहनी ने जोर देकर कहा, 'मुद्दा पोस्टर का नहीं, बल्कि जुमे की नमाज के बाद अवैध रूप से इकट्ठी हुई भीड़ का था, जिसने कानून-व्यवस्था को चुनौती दी।' उन्होंने कहा कि शहर में ऐसे पोस्टर हटाने की कोई खबर गलत है।
पुलिस ने अब तक 83 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। इनमें तौकीर रजा खान, उनके सहयोगी और रिश्तेदार शामिल हैं। तौकीर रजा खान को मुख्य षड्यंत्रकर्ता बताया गया है।
तीन आरोपी- ताजिम, तनजीम और अन्य- पुलिस मुठभेड़ों में पकड़े गए। 1 अक्टूबर को डॉ. नफीस अहमद और उनके बेटे फरहान को गिरफ्तार किया गया, जिन पर भीड़ जुटाने का आरोप है।
बुलडोजर कार्रवाई: रजा पैलेस ध्वस्त
बीडीए की टीम ने जखीरा क्षेत्र में स्थित 'रजा पैलेस' बैंक्वेट हॉल को ध्वस्त कर दिया। यह हॉल डॉ. नफीस अहमद का था, जो तौकीर रजा के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में चली यह कार्रवाई करीब तीन घंटे चली, उसके बाद परिसर को सील कर दिया गया। बीडीए के अधिकारियों ने दावा कि यह 'रूटीन डेमोलिशन' थी, क्योंकि हॉल का एक हिस्सा निर्माण नियमों का उल्लंघन करते हुए बनाया गया था। वैसे, इस तरह की कार्रवाई राज्य में लगातार हो रही है जिसमें किसी मामले में आरोपी के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया और कारण बताया गया कि यह अवैध निर्माण के ख़िलाफ़ कार्रवाई है। कई मामलों में अदालतों ने ऐसी कार्रवाई के लिए सरकारों को जबर्दस्त फटकार भी लगाई है।
इसी अभियान के तहत बरेली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने एक अन्य क्षेत्र में दुकानों और आवासीय संपत्तियों के अनधिकृत विस्तार को हटाया। दावा है कि प्रशासन ने पहले ही तौकीर रजा के सहयोगियों से जुड़ी आठ अवैध संपत्तियों की पहचान की थी।
एसपी प्रतिनिधिमंडल रोका गया
विपक्षी समाजवादी पार्टी ने हिंसा का जायजा लेने के लिए 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजा, जिसका नेतृत्व विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे कर रहे थे। एसपी प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर रवाना हुए इस दल को पुलिस ने रोक लिया। सपा प्रतिनिधिमंड के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उनको घर से निकलने ही नहीं दिया गया और कहा गया कि उनके जाने से बरेली में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।
पांडे ने आरोप लगाया कि यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है और भाजपा 'तानाशाही' चला रही है। उन्होंने कहा, 'मैं कल रात पीजीआई इलाके में अपने घर पहुँचा तो बाहर पुलिसवाले खड़े थे। एक सब-इंस्पेक्टर ने स्थानीय एसएचओ द्वारा जारी एक नोटिस दिया, जिसमें कहा गया था कि मुझे बरेली जाने की अनुमति नहीं है क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। एक सब-इंस्पेक्टर ऐसा प्रतिबंधात्मक आदेश कैसे जारी कर सकता है? पुलिस ने बरेली के डीएम का एक पत्र सौंपा, जिसमें प्रतिबंधात्मक आदेशों का हवाला दिया गया था... और कहा गया था कि मेरे जाने से स्थिति और बिगड़ सकती है।' उन्होंने कहा कि जिले के लिए प्रवेंटिव ऑर्डर्स हैं तो उन्हें हमें जिला की सीमा पर रोकना चाहिए था, न कि हमारे घरों में।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा, 'सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव का बरेली में प्रतिनिधिमंडल भेजना नौटंकी और बचकाना कदम है। सपा की पहचान मुस्लिम तुष्टिकरण की गंदी राजनीति से है। विधानसभा चुनाव 2027 में सपा की दुर्दशा और सफाया होना तय है। यूपी दंगा मुक्त, सुशासन व क़ानून व्यवस्था हमारी पहचान और उपलब्धि है। सपाइयों को यही रास नहीं आ रहा।'
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पलटवार किया, 'समाजवादी पार्टी संवेदनशील माहौल को भड़काना चाहती है। योगी सरकार ने साजिश नाकाम कर दी।' उत्तर प्रदेश के मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा, 'बरेली में स्थिति पूरी तरह सामान्य है। फ्लैग मार्च और भारी गश्त से शांति सुनिश्चित की गई है।'