लखनऊ की रैली में मायावती ने अप्रत्याशित रूप से बीजेपी सरकार की सराहना की और सपा व कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। क्या बसपा की राजनीति में नया मोड़ आने वाला है?
मायावती ने तो बीएसपी को मज़बूत करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए लखनऊ में विशाल रैली की, लेकिन वह बीजेपी सरकार की तारीफ़ और सपा-कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों की आलोचना ही करती रह गईं। उन्होंने 2027 में सत्ता में लौटने का दावा भी कर दिया, लेकिन क्या सत्ताधारी दल की तारीफ़ और विपक्षी दलों की आलोचना कर कोई पार्टी सत्ता में लौटने का कल्पना कर सकती है? तो सवाल है कि आख़िर मायावती का मक़सद क्या था?
बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ही चुनावी बिगुल बजाकर यूपी की सत्ता में पाँचवीं बार बीएसपी की सरकार बनाने का दावा कर दिया है। बीएसपी प्रमुख मायावती ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी अगले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी और किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। इसके साथ ही मायावती ने सभा में यूपी की बीजेपी सरकार की तारीफ़ की और समाजवादी पार्टी-कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
'बीएसपी को रोकने के लिए गुप्त गठबंधन हुआ'
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़कों पर गुरुवार को हर तरफ बीएसपी के नीले झंडे, पोस्टर और पार्टी समर्थकों का उमड़ता हुआ जनसैलाब दिखाई दिया। कांशीराम स्मारक स्थल पर पाँच लाख लोगों के जुटने का दावा किया जा रहा है। मंच पर मायावती ने एक घंटे से ज्यादा समय तक भाषण दिया। बीएसपी प्रमुख मायावती ने गुरुवार को विपक्षी राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि उन्होंने यूपी में बीएसपी को सत्ता में लौटने से रोकने के लिए 'गुप्त गठबंधन' बना लिया है।
मायावती ने कहा कि 2007 में उनकी पार्टी की पूर्ण बहुमत वाली ऐतिहासिक जीत ने 'जातिवादी और पूंजीवादी' ताकतों को डराया, जिन्होंने फिर बीएसपी की प्रगति को रोकने के लिए हाथ मिला लिया। मायावती ने कहा, 'हर चुनाव में- चाहे विधानसभा हो या लोकसभा- कांग्रेस, बीजेपी, एसपी और अन्य विरोधी पार्टियाँ गुप्त रूप से एकजुट हुईं और बीएसपी को रोकने के लिए अलग-अलग चालें चलीं। जहां-जहां बीएसपी जीत रही थी, वहां उनके वोट दूसरे दलों को चले गए।' मायावती ने कहा, 'बाकी अंतर ईवीएम में हेरफेर से पूरा किया गया। ईवीएम सिस्टम के खिलाफ व्यापक विरोध है और वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसे कभी भी बंद किया जा सकता है। कागजी मतपत्र प्रणाली वापस आने की काफ़ी संभावना है।'
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मायावती ने अपने समर्थकों से अपील की कि पार्टी की पकड़ मज़बूत करें और हमेशा सतर्क और संगठित रहें। हमें आने वाले सभी चुनावों के लिए तैयार रहना होगा, चाहे वो बिहार हो या अन्य राज्य।' किसी विशेष पार्टी का नाम लिए बिना, बीएसपी प्रमुख ने कहा कि विरोधी दल दलित वोटों को तोड़ने के लिए नए राजनीतिक संगठन बनाते रहे हैं।
इसी के साथ मायावती ने योगी सरकार की तारीफ की और सपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'में सपा मुखिया अखिलेश यादव से पूछना चाहती हूं कि अगर मान्यवर श्री कांशीराम साहब के प्रति इतना ही आदर सम्मान था तो आपने मान्यवर श्री कांशीराम साहब जी के नाम पर रखे जिले का नाम बदलकर कासगंज क्यों कर दिया ?'
आकाश का साथ देना: मायावती
इसी के साथ मायावती ने रैली में एक बड़ा ऐलान भी किया, 'जिस तरह कांशीराम ने मुझे आगे बढ़ाया, उसी तरह मैंने आकाश आनंद को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। मैं आकाश को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना रही हूं और पार्टी की जिम्मेदारियां उन्हें सौंप रही हूं। मुझे उम्मीद है कि लोग हर परिस्थिति में उनका साथ देंगे।'
रैली में जुटे जनसैलाब पर मायावती ने कहा कि इस रैली में बाकी दलों की तरह पैसे देकर लोग नहीं बुलाए गए हैं बल्कि अपनी खून-पसीने की कमाई खर्च कर आए हैं। उन्होंने दावा किया कि इस रैली ने यहाँ पर हुई पहले की सभी रैलियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मायावती ने वादा किया कि वह कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।
अखिलेश का हमला
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बिना नाम लिए मायावती पर हमला किया है। उन्होंने तंज में ट्वीट किया है, "क्योंकि ‘उनकी’ अंदरूनी साँठगाँठ है जारी... इसीलिए वो हैं ज़ुल्म करने वालों के आभारी"।बहरहाल, मायावती ने कहा है कि यूपी में बसपा अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेगी क्योंकि गठबंधन करने पर बसपा का वोट तो सहयोगी दलों को मिल जाता है पर बसपा को उनका वोट नहीं मिलता है। बसपा ने यूपी में जब भी गठबंधन की सरकार बनाई तो सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और पहले ही गिर गई। वहीं, जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो सभी समाज के लोगों को विकास कार्य किए। इसलिए बसपा ने 2027 में भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।