उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले में एक अजीब मामला सामने आया है। चार नाबालिग लड़कों पर एक कक्षा 8 में पढ़ने वाली लड़की को स्कूल आते-जाते समय गंदी बातें कहकर परेशान करने का आरोप लगा। पुलिस ने लड़कों को नहीं पकड़ा, उनकी चार मांओं को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। हालाँकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने कहा कि यह कार्रवाई बच्चों के व्यवहार को लेकर माता-पिता को चेतावनी देने और उन्हें 'अच्छे संस्कार' न सिखाने के लिए की गई है। पुलिस के अनुसार चारों लड़के अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।

रिपोर्टों के अनुसार लड़की के पिता ने पुलिस को बताया कि गांव के ही चार लड़के उनकी बेटी को कई दिनों से स्कूल के रास्ते पर गंदी टिप्पणियां करते थे और परेशान करते थे। लड़की और लड़के एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते थे। लड़के स्कूल नहीं जाते थे और इलाके में घूमा करते थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार लड़की ने अपने पिता को ये बात बताई, जिसके बाद परिवार ने बुधवार को उसहैत पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया।

पुलिस ने क्या किया?

थाना प्रभारी अजय पाल सिंह ने कहा कि लड़के 13 साल से कम उम्र के हैं, इसलिए उन्हें हिरासत में नहीं लिया जा सकता। अजय पाल सिंह ने टीओआई से कहा कि नाबालिग एक ही गांव के थे और अल्पसंख्यक समुदाय के थे। उन्होंने कहा, 'ये नाबालिग स्कूल नहीं जाते थे और इलाके में घूमते रहते थे। लड़की और लड़के एक-दूसरे को पर्सनली नहीं जानते थे।'

रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि लड़कों ने लड़की को एक से ज़्यादा बार परेशान किया और क्योंकि लड़के नाबालिग थे, इसलिए पुलिस ने माता-पिता को नोटिस भेजा। उन्होंने टीओआई को बताया, 'उनकी माताओं को हिरासत में लिया गया ताकि उन माता-पिता को एक साफ़ संदेश दिया जा सके जो अपने बच्चों की सही परवरिश सुनिश्चित नहीं करते हैं।'

चारों महिलाओं को गिरफ्तार करने के बाद उसी दिन सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। उन्होंने पर्सनल बॉन्ड यानी जमानत जमा की और उसी दिन उन्हें रिहा कर दिया गया।

एचटी की रिपोर्ट के अनुसार जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ब्रिजेश कुमार सिंह के दफ्तर ने कहा कि मामले की जाँच की जा रही है। एसपी (सिटी) विजेंद्र द्विवेदी ने कहा कि वे एसएचओ से विस्तृत रिपोर्ट मांगेंगे। जिले के बड़े अधिकारियों को तुरंत इस गिरफ्तारी की जानकारी नहीं थी।

कानूनी विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

कानून के जानकारों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। पोक्सो एक्ट बच्चों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन इसमें अभिभावकों को अपराधी नहीं माना जाता जब तक लापरवाही या मदद करने का सबूत न हो। प्रिवेंटिव अरेस्ट का इस्तेमाल ऐसे मामलों में दुर्लभ है और अदालत में चुनौती दी जा सकती है।