सर्व सेवा संघ वाराणसी में शनिवार को बुलडोजर कार्रवाई।
गांधी, विनोबा और जयप्रकाश की विरासत मानी जाने वाली संस्था सर्व सेवा संघ, वाराणसी में शनिवार को विध्वंस शुरू हो गया। सर्व सेवा संघ रेलवे के साथ भूमि विवाद में उलझा हुआ था। जिला मजिस्ट्रेट ने रेलवे के पक्ष में आदेश दिया था जिसके बाद परिसर खाली कर दिया गया था।
अभी 10 अगस्त को किसान नेता राकेश टिकैत और तमाम लोगों ने यह प्रदर्शन कर इसे गिराए जाने की तैयारी का भारी विरोध किया था। शनिवार को जब यह भवनों को गिराने की कार्रवाई शुरू हुई तो कुछ गांधीवादियों ने विरोध किया लेकिन पुलिस ने फौरन ही उन्हें हिरासत में ले लिया। बुलडोजर की कार्रवाई का ज्यादा विरोध नहीं हो पाया।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने शनिवार 12 अगस्त को एक ट्वीट कर इस पर आपत्ति जताई। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, जेपी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुल्डोज़र चलना शर्मनाक है। गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं। अब वाराणसी के सर्व सेवा संघ को हड़प कर पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं। भाजपा अब बेशर्मी की सारी हदें पार कर रही है।
1961 में बना था संघ भवनः गांधी के विचारों को दुनिया भर में फैलाने के लिए मार्च 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सर्व सेवा संघ की स्थापना की गई थी। विनोबा भावे के मार्गदर्शन में 62 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री डॉ. आनंद किशोर के मुताबिक साल 1960 में इस ज़मीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की कोशिशें शुरू हुईं। भवन का पहला हिस्सा साल 1961 में बनाया गया और साल 1962 में जय प्रकाश नारायण यहां खुद रहा करते थे।