loader
फाइल फोटो

सीएम योगी ने कहा, हम राम को लाते ही नहीं, बल्कि ‘राम नाम सत्य’ भी करवा देते हैं…

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अलीगढ़ में आयोजित एक चुनावी सभा में मंच से ‘राम नाम सत्य’ करवाने को लेकर एक बयान दिया है। जिसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें ऐसा बोलना चाहिए? सवाल यह उठ रहा है कि क्या किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए? 
अलीगढ़ में हुई इस चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि, किसी ने सोचा होगा कि बेटी और व्यापारी रात में भी सुरक्षित निकल सकते हैं। हम सिर्फ राम को लाते ही नहीं हैं, बल्कि बेटी और व्यापारी की सुरक्षा के लिए जो खतरा बनता है, उसका ‘राम नाम सत्य’ भी करवा देते हैं।
वह इस सभा में अपने शासन की मजबूती को बताना चाह रहे थे जहां कानून व्यवस्था मजबूत है।

उन्होंने कहा, प्रभु राम का नाम लेकर जीवन यापन करके हैं। राम के बिना कोई काम नहीं। लेकिन जब कोई समाज की सुरक्षा के लिए खतरा बनेगा, तो उसका राम नाम सत्य भी तय है। जो 10 वर्ष पहले सपना था आज वो हकीकत बना है। इसलिए बना है कि आपके एक वोट की कीमत ने बनाया है। 

इस चुनावी सभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक वोट गलत लोगों को जाता था, देश भ्रष्टाचार के आकंट में डूबता था। अराजकता और उपद्रव में डूबता था। कर्फ्यू लगता था। अराजकता फैलती थी। 

गुंडागर्दी फैलती थी। वोट हमारा, तो पाप के भागीदार तो हम ही को बनना है। जब गलत लोगों को वोट देंगे तो ये होगा। 

उन्होंने कहा कि, इसलिए मैं कह रहा हूं कि हमारा एक वोट आपने पीएम मोदी को दिया, मोदी के नाम पर दिया, तो मोदी की गारंटी आपके भविष्य को बनाती हुई दिखती है। 
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के कई बयानों पर पहले भी विवाद हो चुका है। ऐसे में राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। 
ऐसे बयानों से समाज में गलत संदेश जाता है। समाज के कुछ वर्गों में इस तरह के बयानों से भय का माहौल बनता है। जब किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री ही कहे कि सुरक्षा के लिए जो खतरा बनता है, उसका ‘राम नाम सत्य’ भी करवा देते हैं तो लोग इस वाक्य का मतलब निकाल सकते हैं कि सरकार अपराधियों को खत्म करने के लिए उनका फेक इनकाउंटर भी करवा सकती है। 
ऐसी धारणा चुनाव में कुछ वोट तो दिला सकती है लेकिन किसी भी स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए यह खतरनाक हो सकती है। हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सजा देने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ देश की न्यायपालिका को है। किसी मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायिका और कार्यपालिका से जुड़े किसी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है। 

अगर कोई अपराध करता है तो कानून के मुताबिक उसे सजा अवश्य ही मिलनी चाहिए। देश की अदालतें इसका फैसला करें कि कौन अपराधी है और किसे क्या सजा मिलेगी। लेकिन अगर राजनेता चुनावी मंच से ‘राम नाम सत्य’ करवा देने की बात कहेंगे तो इससे हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा। 

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हाल के वर्षों में हुई अपराधियों के साथ मुठभेड़ और उसमें अपराधी के मारे जाने पर पहले भी कई सवाल उठते रहे हैं। 

विपक्षी दल और मानवाधिकार कार्यकर्ता आरोप लगाते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल के वर्षों में कई फर्जी मुठभेड़ की है, जिसमें कानून को हाथ में लेकर कथित अपराधी को गोली मार दी गई थी।  
उत्तर प्रदेश में होने वाले बुल्डोजर एक्शन पर भी सवाल उठते रहे हैं। इस तरह के एक्शन के विरोधियों का तर्क है कि यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। बिना उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी का घर या दुकान या कोई भी संपति बुल्डोजर से गिराना उचित नहीं है।  
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें