बुलंदशहर हिंसा मामले में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का क्या अख़लाक हत्याकांड की उनकी जाँच से संबंध है? जानिए, इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या मामले में कोर्ट ने क्या पाया है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के स्याना थाना क्षेत्र में 3 दिसंबर 2018 को हुई स्याना हिंसा मामले में सात साल बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया है। अपर सत्र न्यायालय-12 के न्यायमूर्ति गोपाल जी ने इस मामले में सुनवाई की। इस हिंसा में स्याना कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित की गोली लगने से मौत हो गई थी।
स्याना में कैसे हुई थी हिंसा?
3 दिसंबर 2018 को स्याना के महाव गांव के जंगल में गोवंश के अवशेष मिलने की खबर फैलने के बाद तनाव बढ़ गया था। बजरंग दल के तत्कालीन जिला संयोजक योगेश राज के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों की भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हमला बोल दिया। भीड़ ने पुलिस चौकी में आगजनी की, वाहनों को क्षतिग्रस्त किया और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इसी दौरान
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को गोली मारकर हत्या कर दी गई। हिंसा में स्थानीय युवक सुमित की भी गोलीबारी में मौत हो गई।
पुलिस ने इस मामले में 27 नामजद और 50-60 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ हत्या, दंगा, आगजनी और राजद्रोह जैसी गंभीर धाराओं में एफ़आईआर दर्ज की थी। जाँच के बाद पुलिस ने 44 आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की, जिनमें से 5 की मुक़दमे के दौरान मौत हो गई और एक नाबालिग था, जिसकी सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में हुई। कोर्ट ने प्रशांत नट, डेविड, जोनी, राहुल और लोकेंद्र उर्फ मामा को इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का दोषी ठहराया, जबकि अन्य 33 आरोपियों को बलवा, हत्या का प्रयास, आगजनी और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी पाया गया।
सुबोध कुमार सिंह और अखलाक हत्याकांड
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह अपनी हत्या से पहले 2015 में दादरी के बिसाहड़ा गांव में हुए अखलाक हत्याकांड की जांच कर रहे थे। 28 सितंबर 2015 को अखलाक को गोमांस रखने के संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। सुबोध कुमार ने इस मामले में मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी की थी, लेकिन 9 नवंबर 2015 को उनकी जांच पूरी होने से पहले ही उनका तबादला कर दिया गया। एक अन्य अधिकारी ने बाद में चार्जशीट दाखिल की। सुबोध के भाई अतुल कुमार ने बीबीसी को बताया था कि दादरी हत्याकांड की जांच और स्याना हिंसा के बीच संबंध हो सकता है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।
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तब रजनी ने एएनआई से कहा था, ‘मेरे पति ने बहुत ईमानदारी के साथ काम किया और सारी ज़िम्मेदारी ख़ुद पर लेते रहे। यह पहली बार नहीं हुआ, पहले भी दो बार उन्हें गोली लगी थी। लेकिन अब कोई उन्हें न्याय नहीं दे रहा है।’
इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या ऐसे समय में हुई थी जब दादरी मामले में एक बार फिर जाँच शुरू होने वाली थी और स्थानीय अदालत में इसके 18 आरोपियों के ख़िलाफ़ सुनवाई चल रही थी।
बीजेपी नेता और मुख्य आरोपी योगेश राज
इस मामले में मुख्य आरोपी योगेश राज वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है। घटना के समय वह बजरंग दल का जिला संयोजक था। आरोप लगाया जाता है कि बीजेपी ने जेल में रहते हुए उससे चुनाव लड़वाया था, हालाँकि बीजेपी की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। कुछ मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्टों के अनुसार, योगेश राज को बीजेपी ने स्थानीय चुनाव में समर्थन दिया था। हालाँकि, इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। कई बार बीजेपी नेता मुख्य आरोपी के साथ देखे गए। योगेश राज को हिंसा भड़काने का मुख्य आरोपी माना गया और उसे कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। कोर्ट में फ़ैसले के दौरान दो थानों की पुलिस फोर्स तैनात की गई थी, जिससे सुरक्षा-व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
इसके अलावा, दोषियों में बीजेपी के बीबीनगर मंडल अध्यक्ष सचिन अहलावत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्याना नगर कार्यवाह पवन राजपूत और ग्राम प्रधान सतेंद्र भी शामिल हैं। इनके ख़िलाफ़ बलवा और हत्या के प्रयास जैसे आरोप सिद्ध हुए हैं।
सियासी विवाद और जाँच
इस मामले ने शुरुआत से ही सियासी रंग ले लिया था। विपक्षी दलों ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर हिंदूवादी संगठनों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। वहीं, सीएम योगी ने इसे 'राजनीतिक साज़िश' क़रार देते हुए कहा था कि उनकी सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। घटना के बाद विशेष जांच दल का गठन किया गया, जिसने गोकशी और हिंसा के अलग-अलग मामलों में चार्जशीट दाखिल की। गोकशी के आरोप में 11 लोगों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई हुई।
सुबोध के परिवार ने क्या कहा?
सुबोध कुमार सिंह की पत्नी रजनी ने इस फ़ैसले पर संतोष जताया, लेकिन उन्होंने मांग की कि दोषियों को कठोरतम सजा दी जाए ताकि उनके पति का बलिदान व्यर्थ न जाए। रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने बताया कि सुबोध की हत्या के बाद उनका परिवार पूरी तरह टूट गया था। उनका बड़ा बेटा यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, लेकिन पिता की मृत्यु के बाद उसे परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए निजी कंपनी में नौकरी करनी पड़ी। रजनी ने कई बार न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया, खासकर तब जब योगेश राज जैसे आरोपियों को जमानत मिल गई थी।
1 अगस्त को सजा के ऐलान
बुलंदशहर हिंसा ने गोहत्या और सांप्रदायिक तनाव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर देशव्यापी बहस छेड़ दी थी। इस घटना ने पुलिसकर्मियों की सुरक्षा और भीड़ हिंसा पर नियंत्रण जैसे मुद्दों को भी उजागर किया। विशेष लोक अभियोजक ने कहा, 'यह फ़ैसला ऐतिहासिक है और उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।'
1 अगस्त को सजा के ऐलान के साथ ही इस मामले पर देश की नज़रें टिकी हैं। पुलिस ने जिले में अतिरिक्त बल तैनात किया है ताकि किसी भी ख़राब स्थिति से निपटा जा सके। सुबोध कुमार सिंह के परिवार और समर्थकों को उम्मीद है कि दोषियों को कठोर सजा मिलेगी, जो न केवल उनके लिए न्याय सुनिश्चित करेगी, बल्कि क़ानून व्यवस्था की रक्षा में शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के सम्मान को भी बनाए रखेगी।