जाट समुदाय से आने वाले जयंत चौधरी को हाथरस में उन पर हुए लाठीचार्ज के बाद भी सहानुभूति मिली थी। यह तय है कि किसान आंदोलन में जाटों और मुसलमानों के एक मंच पर आने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए अपनी सियासी ज़मीन को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।
योगी सरकार यह समझने में भूल कर रही है कि यह आंदोलन पश्चिमी यूपी से निकलकर पीलीभीत, लखीमपुर-खीरी, रामपुर, बरेली और तराई के बाक़ी इलाक़ों में फैल चुका है। इन इलाक़ों में किसानों, जाटों और मुसलमानों की सियासी हैसियत बहुत दमदार है।