सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के श्री बाँके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश 2025 पर उत्तर प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने सरकार के 'जल्दबाजी' और 'चोरी छिपे तरीके' तरीक़े से मंदिर प्रबंधन को नियंत्रित करने के फ़ैसले पर सवाल उठाए। इसके साथ ही कॉरिडोर विकास के लिए मंदिर के पैसे के उपयोग की अनुमति को वापस लेने का प्रस्ताव दिया। कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन के लिए एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति गठन का सुझाव भी दिया।
बाँके बिहारी मंदिर फंड के लिए सरकार ने अपनाया गुप्त तरीका, जल्दबाजी में अध्यादेश क्यों: SC
- उत्तर प्रदेश
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- 4 Aug, 2025
बाँके बिहारी मंदिर ट्रस्ट पर अध्यादेश और मंदिर के फंड के इस्तेमाल को लेकर सरकार की गुप्त नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल क्यों उठाए? क्या धार्मिक संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण का नया रास्ता खोला जा रहा है?

बाँके बिहारी मंदिर
उत्तर प्रदेश सरकार जिस श्री बाँके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश 2025 को लागू कर रही है वह अध्यादेश मंदिर के प्रबंधन को राज्य के नियंत्रण में लाने का प्रावधान करता है। कोर्ट ने सरकार के इस कदम को 'चोरी छिपे तरीके' से लिया गया निर्णय करार देते हुए नाराजगी जताई और 15 मई 2025 के उस फैसले को वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसमें सरकार को मंदिर की निधि का उपयोग कॉरिडोर विकास के लिए करने की अनुमति दी गई थी।