उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल इन दिनों एक नारा जोर-शोर से लगाते हैं। यह नारा है- ‘जब-जब योगी डरता है, पुलिस को आगे करता है।’ योगी आदित्यनाथ के 2017 में सत्ता संभालने के बाद पुलिस पर विपक्षी दलों के नेताओं को पीटने-नजरबंद करने, धड़ाधड़ एनकाउंटर करने, नागरिकता संशोधन क़ानून के दौरान मुसलमानों के घरों में घुसकर लाठीचार्ज करने के आरोप लगे।
हाथरस: योगी जी, अब मत कहना कि यूपी में क़ानून का राज है
- उत्तर प्रदेश
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- 4 Oct, 2020
उत्तर प्रदेश में क्या कानून का राज पूरी तरह ख़त्म हो चुका है। वरना गुंडे कैसे इस तरह खुलेआम किसी को धमका सकते हैं।

यह भी कहा गया कि योगी अपनी जाति के लोगों को ही पुलिस में अहम पदों पर पोस्टिंग दे रहे हैं और उत्तर प्रदेश में पुलिसिया गुंडई चरम पर है लेकिन योगी का अपनी पुलिस पर पूरा भरोसा बना रहा।
हाथरस मामले में इसी पुलिस ने योगी आदित्यनाथ की कुर्सी खिसकाने की नौबत पैदा कर दी है। क्योंकि पुलिस दलित युवती से बलात्कार के मामले में 8 दिन बाद गैंगरेप की धारा जोड़े जाने से लेकर, युवती के शव को रातों-रात दिल्ली के सफदरजंग से हाथरस लाकर मां-बाप के लाख बिलखने के बाद भी रात को ही जला देने के आरोपों से घिरी है। राहुल-प्रियंका गांधी, टीएमसी सांसदों से धक्का-मुक्की, दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं पर जानबूझकर लाठीचार्ज करने के आरोप उस पर हैं ही।