इस कदम से लखनऊ, संभल, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, अलीगढ़, आगरा, बरेली, फिरोजाबाद और शामली समेत कई मुस्लिम बहुल जिलों में बेचैनी फैल गई है। बढ़ते तनाव के मद्देनजर प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दी है और अलर्ट जारी कर दिया है।
मुजफ्फरनगर में हुए इस विरोध का मुख्य कारण वक्फ कानून में बदलावों को लेकर असंतोष है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने और सरकार को अधिक नियंत्रण देने की अनुमति देता है, जो उनके धार्मिक स्वायत्तता को प्रभावित कर सकता है। काली पट्टियाँ पहनना एक प्रतीकात्मक विरोध था, जिसके जरिए उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की।
इस घटना ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक बहस को जन्म दिया है। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), ने विधेयक को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, उनका तर्क है कि यह विधेयक इस्लाम की प्रथा का अभिन्न अंग होने वाली वक्फ व्यवस्था पर हमला है। वहीं, सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि यह विधेयक गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के हित में है।