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यूपी चुनाव: पहले चरण में 58 सीटों पर 60% हुई वोटिंग

उत्तर प्रदेश में गुरुवार को पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया। इस चरण में पश्चिम के 11 जिलों की 58 सीटों पर वोट डाले गए। कुल मिलाकर 60.17 फ़ीसदी वोटिंग हुई। पिछले चुनाव में यानी 2017 में इन सीटों पर 63.5 फ़ीसदी वोट पड़े थे।

आम तौर पर मतदान शांतिपूर्ण रहा। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने कहा है कि चुनाव पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीक़े संपन्न कराया गया है और कहीं से किसी भी तरह की अप्रिय घटना की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। शाम 6 बजे तक रिपोर्ट आई थी कि 57.79 फ़ीसदी मतदान हुआ था। सबसे ज़्यादा मतदान कैराना (75.12%) में और सबसे कम साहिबाबाद (45%) में हुआ है। वोटिंग के दौरान कुछ ईवीएम में तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतें आईं। हालाँकि, चुनाव आयोग का कहना है कि उन्हें तुरंत ठीक कर दिया गया था।

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इससे पहले शुरुआती घंटों में वोटिंग की रफ़्तार धीमी रही लेकिन 1 बजे के बाद यह तेज़ हुई है। 9 बजे तक 11 जिलों में 7.93% मतदान हुआ था जबकि 11 बजे तक यह आंकड़ा 20.03% था। 1 बजे तक 35.03% जबकि 3 बजे तक 48.24% मतदान हुआ था। जिन जिलों में वोटिंग हुई उनमें शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा और आगरा शामिल हैं। 

58 सीटों पर मतदान के लिए 10,853 पोलिंग स्टेशन बनाए गए जबकि पोलिंग बूथों की संख्या 26,027 थी। 58 सीटों के लिए 623 उम्मीदवार मैदान में हैं इनमें से 23 महिलाएं हैं। इन 58 सीटों पर 2.28 करोड़ मतदाता हैं।

9 मंत्री हैं मैदान में 

इस चरण में बीजेपी के 9 मंत्रियों की साख दांव पर है। ये मंत्री हैं- मथुरा से विधायक एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, शिकारपुर से विधायक एवं वन-पर्यावरण मंत्री अनिल शर्मा, थाना भवन सीट से विधायक एवं गन्ना मंत्री सुरेश राणा, गाजियाबाद से विधायक एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग, हस्तिनापुर से विधायक और बाढ़ मंत्री दिनेश खटीक, अतरौली से विधायक और खेल एवं युवा मामलों के मंत्री संदीप सिंह, आगरा कैंट के विधायक एवं समाज कल्याण मंत्री जी.एस. धर्मेश, मुजफ्फरनगर सदर से विधायक एवं कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल, छाता से विधायक एवं डेयरी मंत्री नारायण चौधरी। 

Uttar Pradesh election 2022 first phase polling - Satya Hindi
कई जगहों पर चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों को सजाया हुआ है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार बीजेपी की राह आसान नहीं दिखती क्योंकि 1 साल तक चले किसान आंदोलन के कारण इस इलाके के सियासी समीकरण बदलते दिखाई दे रहे हैं। 

2014, 2017 और 2019 के चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोरदार कामयाबी मिली थी लेकिन किसान आंदोलन के कारण बीजेपी का समर्थक जाट वर्ग उससे छिटक कर एक बार फिर राष्ट्रीय लोक दल के पाले में खड़ा होता दिखाई दिया है।

बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान साल 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों का बार-बार जिक्र किया है। मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद इस इलाके में जबरदस्त सियासी ध्रुवीकरण हुआ था और बीजेपी को लगातार कामयाबी मिलती रही थी लेकिन इस बार सपा-रालोद गठबंधन मजबूत दिखाई दे रहा है।

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हालांकि इस इलाके में कांग्रेस, बीएसपी और एआईएमआईएम के उम्मीदवार भी मैदान में हैं और कई सीटों पर इन्होंने मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। लेकिन फिर भी यह माना जा रहा है कि अधिकतर सीटों पर बीजेपी और सपा गठबंधन के बीच ही जोरदार भिड़ंत होगी। 

यूपी पुलिस की ओर से पीएससी की कई कंपनियां तैनात की गईं। इसके साथ ही केंद्रीय सुरक्षा बलों के भी जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया।

ये हैं प्रमुख सीटें 

पहले चरण में कैराना, मुजफ्फरनगर, सिवालखास, सरधना नोएडा, खुर्जा, पुरकाजी, खतौली, बड़ौत, लोनी, मुरादनगर, धौलाना, हापुड़, अनूपशहर, डिबाई, शिकारपुर, अतरौली, मांट, छाता आदि सीटों पर वोटिंग हुई। 

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क़मर वहीद नक़वी
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