भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा आयोजित किए जा रहे जाति सम्मेलनों से परेशान है। आरएसएस की ओर से आपत्ति आई है कि जब संघ सनातन हिन्दू एकता की बात करता है तो जाति सम्मेलन उसके मकसद को कमज़ोर कर रहे हैं। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के अपने विधायकों और विधान परिषद सदस्यों (एमएलए-एमएलसी) को जाति आधारित बैठकों में शामिल होने के खिलाफ खुली चेतावनी जारी की है। पार्टी का मानना है कि ऐसी बैठकें पार्टी के अंदर जातीय गुटबाजी को बढ़ावा देती हैं, जो 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन बैठकों से प्रेशर ग्रुप बन रहे हैं, जो टिकट वितरण और मंत्रिमंडल में जगह के लिए सौदेबाजी करने के लिए बनाए जा रहे हैं।

हाल ही में कुछ घटनाओं ने आरएसएस और पार्टी नेतृत्व को चिंतित कर दिया। मंगलवार को कुशीनगर के विधायक पीएन पाठक के लखनऊ स्थित आवास पर ब्राह्मण विधायकों और एमएलसी की एक बैठक हुई। इस बैठक में पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ ब्राह्मण विधायकों ने कथित तौर पर ब्राह्मण समुदाय के प्रति पक्षपात के मुद्दे पर चर्चा की। यह बैठक 'बाटी चोखा' डिनर के नाम पर आयोजित की गई और इसमें भूमिहार तथा कुर्मी समूह के विधायक भी शामिल हुए। बैठक की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसके बाद ब्राह्मण विधायकों का एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया।

उसी दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायकों और पदाधिकारियों की एक अन्य बैठक लखनऊ के एक होटल में लंच के दौरान हुई, जिसमें एक वरिष्ठ जाट नेता के विरोधियों ने हिस्सा लिया। हालांकि यह बैठक कम चर्चा में रही क्योंकि इसकी तस्वीरें सामने नहीं आईं। इससे पहले अगस्त में ठाकुर विधायकों की एक अनौपचारिक बैठक हुई थी, लेकिन तब कोई चेतावनी जारी नहीं की गई थी क्योंकि पार्टी का फोकस संगठनात्मक चुनावों पर था।

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उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण राजनीति का अहम हिस्सा हैं। बीजेपी के पास 258 विधायक हैं, जिनमें 84 ओबीसी, 59 एससी, 45 ठाकुर, 42 ब्राह्मण और 28 अन्य ऊपरी जातियों (जैसे वैश्य, कायस्थ, पंजाबी, खत्री) से हैं। वहीं 79 एमएलसी में 26 ओबीसी, 23 ठाकुर, 14 ब्राह्मण, 2 एससी, 2 मुस्लिम और 12 अन्य ऊपरी जातियों से हैं। 2024 लोकसभा चुनावों में टिकट वितरण को लेकर ठाकुर समुदाय में नाराजगी से पार्टी को नुकसान हुआ था। दिसंबर 2021 में भी ब्राह्मणों को मनाने के लिए पार्टी ने एक समिति गठित की थी।

नई चेतावनी उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पंकज चौधरी ने जारी की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने भी इन बैठकों पर नाराजगी जताई है। पार्टी नेतृत्व ने संबंधित विधायकों से संपर्क कर चेतावनी दी है कि दोबारा ऐसा होने पर कार्रवाई होगी। पार्टी का उद्देश्य आंतरिक एकता बनाए रखना और विपक्ष को मौका न देना है।

विपक्ष ने इस पर तीखा हमला बोला है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, “अपनों की महफिल सजे तो जनाब मेहरबान और दूसरों को भेज रहे चेतावनी का फरमान।” उन्होंने बीजेपी शासन में “माटी धोखा” का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि ठाकुरों की बैठक पर कोई ऐतराज नहीं, लेकिन ब्राह्मणों की बैठक पर चेतावनी जारी करना पार्टी की विभाजनकारी राजनीति को दर्शाता है। उन्होंने दावा किया कि ब्राह्मण विधायकों को सम्मान नहीं मिल रहा और अगले चुनाव में पार्टी हारेगी।

बीजेपी का मानना है कि ऐसी जातीय बैठकें पार्टी की एकजुटता को कमजोर करती हैं और विपक्ष को फायदा पहुंचाती हैं। पार्टी अब सख्त अनुशासन लागू करने पर जोर दे रही है।